मॉस्कोः रूस द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी जीत और नाजी जर्मनी की हार का जश्न मना रहा है। इस जश्न को रूस आज ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहा है। सोवियत संघ को 1945 में नाजी जर्मनी के खिलाफ मिली जीत का जश्न रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पिछले करीब एक चौथाई सदी के शासन का अहम हिस्सा भी रहा है। पुतिन ने इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रपति के रूप में पांचवां कार्यकाल शुरू किया है। रूस में पुतिन के नेतृत्व में ‘विजय दिवस’ पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस युद्ध में सोवियत संघ के करीब दो करोड़ 70 लाख लोग मारे गए थे।
नाजी सैनिकों ने जब जून 1941 में हमला किया तो पश्चिमी सोवियत संघ के अधिकांश हिस्से में भारी तबाही मचायी थी। उसके बाद उन्हें बर्लिन तक खदेड़ा गया जहां बुरी तरह बर्बाद हो चुकी राजधानी पर सोवियत संघ का हंसिया और दरांती चिन्ह वाला ध्वज फहराया गया। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य सहयोगी देशों ने आठ मई को यूरोप में युद्ध की समाप्ति की घोषणा की थी। पुतिन ने 24 फरवरी, 2022 में जब यूक्रेन पर अपनी सेनाओं को भेजा था तो उन्होंने अपने कदमों को सही ठहराने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध का जिक्र किया था। पुतिन ने कहा था कि मास्को का मुख्य मकसद यूक्रेन की ‘नाजीकरण’ से मुक्ति सुनिश्चित करना है । वर्ष 1999 में सत्ता में आने के बाद से पुतिन ने नौ मई को अपने राजनीतिक एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया है और इस दौरान वह देश की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
मॉस्को में विजय दिवस
इस अवसर पर रूस में कई लोग काले और नारंगी सेंट जॉर्ज रिबन पहनते हैं जो पारंपरिक रूप से विजय दिवस से जुड़ा है। पुतिन (71) अक्सर अपने पारिवारिक इतिहास के बारे में बात करते हैं और अपने पिता की यादें साझा करते हैं जो युद्ध में लड़ते समय बुरी तरह घायल हो गए थे। कई सालों तक पुतिन विक्ट्री डे (विजय दिवस) पर अपने पिता की फोटो लेकर जाते रहे । विजय दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम पहले कोरोना वायरस महामारी के कारण और फिर यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद सुरक्षा चिंताओं के कारण आयोजित नहीं हो पाए थे। (भाषा)
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