Britain, Italy and Japan Against China: जल, थल और नभ में अपना वर्चस्व जमाने की होड़ में लगे चीन के लिए सबसे बुरी खबर है। पश्चिम के तीन बड़े देश ब्रिटेन, इटली और जापान अब चीन के इस वर्चस्व को तोड़ने के लिए एक साथ खड़े हो गए हैं। इससे चीन की चिंता बढ़ना लाजमी है। लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षा अमेरिका को भी पीछे छोड़कर दुनिया के सभी देशों पर अपना वर्चस्व कायम करने की है। दक्षिण चीन सागर से लेकर, हिंद-प्रशांत सागर और साउथ ईस्ट-एशिया के साथ अरब देशों और पश्चिमी देशों में चीन अपना प्रभुत्व जमाने में जुटा है। मगर अब तीन देशों की तिकड़ी चीन के चिंता का कारण बन गई है। आइए अब आपको बताते हैं कि ये तीनों देश मिलकर क्या करने वाले हैं।
दरअसल जापान अब ब्रिटेन और इटली के साथ मिलकर आगामी पीढ़ी का सबसे खतरनाक और ताकतवर लड़ाकू विमान बनाने जा रहा है। इसका मकसद चीन के खतरनाक लड़ाकू विमानों को जवाब देना है, क्योंकि चीन लगातार एक से बढ़कर एक लड़ाकू विमान तैयार कर पश्चिमी देशों पर दबाव बढ़ाता जा रहा है। अब ये तीनों देश मिलकर ऐसा फाइटर जेट बनाएंगे कि जिसकी काट खोज पाना चीन के लिए मुश्किल ही नहीं, बल्कि महामुश्किल होगा। जापान ने शुक्रवार को घोषणा भी कर दी है कि वह ब्रिटेन और इटली के साथ मिलकर अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान को विकसित करेगा।
रक्षा पर अगले वर्ष जापान खर्च करेगा 316 अरब डॉलर
जापान रक्षा के क्षेत्र में वैश्विक चुनौतियों और तीसरे विश्व युद्ध के बढ़ते खतरे के मद्देनजर अपनी सामरिक ताकत को मजबूत करना चाहता है। इसीलिए जापान ब्रिटेन और इटली के साथ यह बड़ा समझौता कर रहा है। तोक्यो के इस कदम को पारंपरिक साझेदार अमेरिका से परे जाकर अन्य देशों से रक्षा संबंध बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। यह नया मित्सुबिशी एफ-एक्स लड़ाकू विमान पूर्व में अमेरिका के साथ मिलकर विकसित और अब पुराने पड चुके एफ-2 का स्थान लेगा। जापान का एफ-एक्स और ब्रिटेन का टेम्पेस्ट, यूरोफाइटर टाइफून लड़ाकू विमानों की जगह लेंगे । इस समझौते से जापान को चीन की बढ़ती आक्रमता का मुकाबला करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही ब्रिटेन की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उपस्थिति बढ़ेगी। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा द्वारा जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने आर अगले पांच साल में रक्षा बजट में वृद्धि की घोषणा के चार दिन बाद शुक्रवार को नए लड़ाकू विमान विकसित करने की घोषणा की गई है।
जापान की सरकार अगले पांच साल में रक्षा पर 43 खरब येन (316 अरब डॉलर) खर्च करेगी और इसके लिए उसे हर साल चार खरब येन (30 अरब डॉलर) अतिरिक्त खर्च करने होंगे जिनमें से एक चौथाई राशि अतिरिक्त कर से जमा की जाएगी। इस महीने के उत्तरार्ध में संशोधित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की घोषणा होने की उम्मीद है जिसमें उम्मीद की जा रही है कि देश की मारक क्षमता बढ़ाने और लंबी दूरी की मिसाइलों की तैनाती की मंजूरी दी जाएगी। यह जापान की आत्मरक्षा नीति में अहम बदलाव है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध (1945) में हार के बाद उसने अपनाया था।
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