Britain News: ब्रिटेन की साइबर-खुफिया एजेंसी के प्रमुख जेरेमी फ्लेमिंग ने मंगलवार को चीन पर 'अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के नियमों को बदलने' की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चीन अपने क्षेत्र में दमन और अन्य देशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए अपने आर्थिक व प्रौद्योगिकी दबदबे का इस्तेमाल कर रहा है। ‘जीसीएचक्यू’ के निदेशक फ्लेमिंग ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यूरोप में तनाव के बीच चीन की बढ़ती ताकत 'राष्ट्रीय सुरक्षा का एक मुद्दा है, जिस पर हमारा भविष्य निर्भर करता है।' ‘जीसीएचक्यू’ को औपचारिक रूप से सरकारी संचार मुख्यालय के रूप में जाना जाता है। यह एमआई5 और एमआई6 के साथ-साथ ब्रिटेन की तीन प्रमुख खुफिया एजेंसियों में से एक है। इसने चीन और रूस में अपने स्रोतों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है।
ऐसा क्यों कर रहा है चीन?
थिंक टैंक ‘रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट’ में दिए एक भाषण में फ्लेमिंग ने आरोप लगाया कि चीन के कम्युनिस्ट अधिकारी ‘‘दुनिया के प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देकर रणनीतिक लाभ हासिल करना’’ चाहते हैं। फ्लेमिंग ने कहा, ‘‘जब प्रौद्योगिकी की बात आती है तो चीन की राजनीति से प्रेरित कार्रवाई एक तेजी से बढ़ती समस्या है, जिसे हमें स्वीकार करके उससे निपटने की कोशिश करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा को एक व्यापक अवधारणा में तब्दील कर रहा है। प्रौद्योगिकी न केवल अवसर, प्रतिस्पर्धा व सहयोग का एक क्षेत्र बन गई है, बल्कि यह नियंत्रण, सिद्धांतों व प्रतिष्ठा के लिए एक युद्ध का मैदान भी बन गई है।’’
चीन की वन पार्टी नीति
फ्लेमिंग ने दावा किया कि चीन की ‘एक दल’ (वन पार्टी) नीति उसकी आबादी को नियंत्रित करने का एक प्रयास है और वह अन्य देशों को संभावित विरोधियों या ऐसे देशों के रूप में देखता है, जिनका फायदा उठाया जा सकता है, जिन्हें धमकाया जा सकता है, रिश्वत दी जा सकती है या जिन पर जोर चलाया सकता है। फ्लेमिंग के भाषण से पहले चीन में एक अधिकारी ने कहा था कि चीन के प्रौद्योगिक विकास का मकसद चीन के लोगों के जीवन में सुधार लाना है और इससे किसी को कोई खतरा नहीं है।
चीन ने आरोप को बताया 'निराधार'
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था, ‘‘ये आरोप निराधार हैं। चीन के तथाकथित खतरे की बात करते रहने से टकराव की स्थिति उत्पन्न होगी। इससे किसी को फायदा नहीं होगा और अंतत: कई प्रतिकूल प्रभाव सामने आएंगे।’’ गौरतलब है कि हाल के वर्षों में ब्रिटेन और चीन के बीच संबंधों में तनाव काफी बढ़ गया है। ब्रिटेन के अधिकारियों ने चीन पर आर्थिक धोखाधड़ी और मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है।
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