रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान से बड़ी खबर, रूसी सेना ने किया जेलेंस्की के एक और शहर पर कब्जा...पूरे यूरोप के लिए बड़ा झटका
रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। युद्ध के 2 वर्ष पूरे होने से पहले रूसी सेना ने यूक्रेन के एक और शहर पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेन ने अवदिव्का से अपनी सेना को पीछे हटा लिया है। हथियारों और गोला-बारूद की कमी के चलते यूक्रेनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। युद्ध के 2 वर्ष पूरे होने से पहले रूसी सेना ने यूक्रेन के एक और शहर पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेन ने अवदिव्का से अपनी सेना को पीछे हटा लिया है। बताया जा रहा है कि हथियारों और गोला-बारूद की कमी के चलते यूक्रेनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देशों और नाटो की मदद के बावजूद यूक्रेन के एक और शहर पर कब्जा करना रूस और राष्ट्रपति पुतिन के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे अमेरिका और यूरोपीय देशों को बड़ा झटका लगा है।
रूस द्वारा बखमुत पर कब्ज़ा करने के बाद से यह कीव की सेनाओं के लिए सबसे हाई-प्रोफ़ाइल वापसी का प्रतीक है। सैन्य सहायता की कमी ने यूक्रेनी कमांडरों को गोला-बारूद की किल्लतों की वजह से पीछे हटने को मजबूर कर दिया है।
सशस्त्र बल कमांडर ने शनिवार को कहा कि रूसी सेना से महीनों की भीषण लड़ाई के बाद, यूक्रेनी सेना प्रभावित शहर अवदिव्का से वापस चली गई है। इस जीत के बात राष्ट्रपति पुतिन की मास्को पर पकड़ और मजबूत होगी, क्योंकि रूस में जल्द राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है।
रूसी सेना से घिरने के बाद वापस हटे यूक्रेनी सैनिक
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ कर्नल जनरल ऑलेक्ज़ेंडर सिरस्की ने कहा कि उन्होंने "घेरेबंदी से बचने और सैनिकों के जीवन और स्वास्थ्य को संरक्षित करने के लिए" वापसी का आदेश दिया। क्योंकि यूक्रेनी सेना रूस से पूरी तरह घिर चुकी थी। स्थानीय समयानुसार शनिवार को सिर्स्की ने फेसबुक पर एक बयान में कहा, "मैंने शहर से अपनी इकाइयों को वापस लेने और अधिक अनुकूल लाइनों पर रक्षा की ओर बढ़ने का फैसला किया है।" बता दें कि पिछले मई में अवदिव्का से सिर्फ 30 मील उत्तर में यूक्रेन के एक अन्य पूर्वी शहर बखमुत पर रूसी सेना ने कब्ज़ा कर लिया था। उसके बाद रूस के लिए यह बड़ी कामयाबी है। हालांकि यह शहर बहुत अधिक रणनीतिक महत्व नहीं रखता है, लेकिन इस पर रूसी कब्जे से यूक्रेन को पश्चिमी सहायता और गोला-बारूद की कमी के बीच कीव की मदद करने के लिए यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ सकता है।
सेना की कमान हाथ में आते ही सिरस्की को मिली पहली हार
एक हफ्ते पहले ही सिरस्की को यूक्रेन का नया कमांडर-इन-चीफ नामित किया गया था। सिरस्की को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की द्वारा "अलग दृष्टिकोण" की उम्मीद में और युद्ध के मैदान में चीजों को बदलने की उम्मीद में लाया गया था। मगर उनके नेतृत्व में अवदिव्का से यूक्रेनी सेना की वापसी से कीव का मनोबल और टूट गया है। सिरस्की ने यूक्रेनी सेना की वापसी की घोषणा करते हुए कहा, "हम स्थिति को स्थिर करने और अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए उपाय कर रहे हैं।" उन्होंने फिर से मैदान में वापस लौटने की कसम भी खाई। पीछे हटने से पहले सिरस्की की सेना ने घुसपैठ करने की कोशिश की।
देश की सेना ने कहा कि वह युद्ध-कठोर सुदृढीकरण और अधिक गोला-बारूद ला रही है। लेकिन शहर में कई महीनों से लड़ रहे एक तोपखाने सार्जेंट ने एनबीसी न्यूज को बताया कि घटते मानव संसाधनों की कमी के कारण उनकी यूनिट को रोजाना कितने राउंड फायर करने पर गंभीर प्रतिबंध का सामना करना पड़ा था। रूस-नियंत्रित क्षेत्रीय राजधानी डोनेत्स्क से अवदिव्का करीब 10 मील से भी कम उत्तर में है, जिसके लिए लड़ाई युद्ध की शुरुआत से ही चल रही है। मगर यूक्रेन के बहुप्रतीक्षित जवाबी हमले के विफल होने के बाद अक्टूबर में लड़ाई तेज हो गई।
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