इंग्लैंड के विल्टशायर में सैलिसबरी मैदान पर बना एनस्टोनहेंज विश्व प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। कुछ लोगों का मानना है कि इसे मृतकों की याद में बनाया गया है और कुछ मानते हैं कि इसे सूर्य और चंद्रमा की चाल के अनुसार बनाया गया है। यह सरसेन, ट्रिलिथॉन और ब्लूस्टोन पत्थरों से 5,000 से 4,200 साल पहले कई चरणों में बनाया गया था। अल्टर स्टोन स्टोनहेंज की सबसे रहस्यमयी चट्टानों में से एक है और इसे आम तौर पर ब्लूस्टोन में गिना जाता है। स्टोनहेंज के बीचोबीच सपाट पड़ा हुआ, छह टन का पांच मीटर लंबा आयताकार अल्टार स्टोन एक ग्रे-हरा बलुआ पत्थर है, जो अन्य ब्लूस्टोन से कहीं बड़ा और अपनी संरचना में अलग है।
नई रिसर्च में पता चला है कि अल्टर स्टोन उत्तर-पूर्व स्कॉटलैंड से यहां 700 किलोमीटर दूर लाया गया था। पहिए का आविष्कार होने से पहले इस पत्थर को इतनी दूर कैसे लाया गया होगा। यह समझ पाना मुश्किल है। स्टोनहेंज के कई बड़े पत्थर काफी दूर से आए हैं, लेकिन पहिए के बिना 30 टन का पत्थर ढोना आसान काम नहीं था। अन्य पत्थर 1-3 टन वजनी और 2.5 मीटर तक ऊंचे होते हैं।
वेल्श नहीं स्कॉटलैंड से है पत्थर
वेदी पत्थर की आयु के निशान से पता चलता है कि यह उत्तर-पूर्व स्कॉटलैंड के ऑर्केडियन बेसिन से आया है। इस आयु निर्धारण के निष्कर्ष वास्तव में आश्चर्यजनक हैं, जो एक सदी से चली आ रही धारणा को पलट देते हैं। लगभग दो दशक लंबी रिसर्च के बाद पूरे विश्वास के साथ कहा सकता है कि यह चट्टान स्कॉटिश है न कि वेल्श, और खास तौर पर यह उत्तर-पूर्व स्कॉटलैंड के पुराने लाल बलुआ पत्थरों से आई है।
ऑर्केडियन बेसिन में हुई उत्पत्ति
ऑर्केडियन बेसिन में अपनी उत्पत्ति के साथ अल्टर स्टोन ने लंबा सफर तय किया है। कम से कम 700 किलोमीटर की दूरी किसी भी पत्थर की सबसे लंबी यात्रा है। अब तक यह ज्ञात नहीं है कि वेदी का पत्थर स्टोनहेंज तक कैसे पहुंचा। जमीन से परिवहन के लिए जंगल बाधाओं में से एक थे। समुद्र से यात्रा करना भी उतना ही कठिन होता। ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल है कि यह पत्थर कैसे इतनी दूर आया और इसे क्यों लाया गया।
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