Russia-Ukraine War Update: राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने खेरसोन और जापारिज्जिया के बाद अब दोनेत्स्क और लुहांस्क को भी रूस का हिस्सा घोषित कर दिया है। पूरी दुनिया पुतिन के इस फैसले को चुपचाप देखने को मजबूर है। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के इस फैसले को अवैध बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया है। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव को भी पुतिन ने वीटो पॉवर लगाकर धड़ाम कर दिया है। इससे अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश भी बेबस हो गए हैं।
अमेरिका की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र के सामने रूस के खिलाफ यह निंदा प्रस्ताव लाया गया था। मगर रूस ने वीटो पॉवर लगाकर इसे रद्द कर दिया। इससे पूरी दुनिया बेबस नजर आ रही है। इधर रूस में खेरसोन, जापोरिज्जिया, दोनेत्स्क और लुहांस्क को देश में विलय करने के बाद जश्न पार्टी का आयोजन किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन स्वयं भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि अब हमेशा के लिए यूक्रेन के उक्त चारों क्षेत्र रूस का पार्ट बन गए हैं। अब हम अपने क्षेत्र की पूरी तरह से हिफाजत करेंगे।
यूक्रेन को भेजा बातचीत का प्रस्ताव
राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमाने के बाद अब युद्ध विराम का संकेत भी दे दिया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की के पास अब शांति का प्रस्ताव भेजा है। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन को अब संघर्ष छोड़कर बातचीत की मेज पर आगे आए। यही इसका रास्ता है। मतलब साफ है कि यूक्रेन के चार राज्यों को रूस का पार्ट बनाने के बाद अब पुतिन आगे युद्ध नहीं चाहते हैं। मगर यूक्रेन इस पर सहमत नहीं है। जेलेंस्की बार-बार अपने क्षेत्रों को रूस से वापस लौटाने की बात कहते रहे हैं। अपने क्षेत्रों पर दोबारा कब्जा नहीं मिलने तक यूक्रेन संघर्ष करते रहने का ऐलान भी करता रहा है। मगर अब देखना ये है कि इस ताजा घटनाक्रम के बाद यूक्रेन क्या निर्णय लेता है।
अमेरिका और पश्चिमी देशों ने दिखाई बेबसी
अमेरिका ने रूस के फैसले के खिलाफ अल्बानिया के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र में निंदा प्रस्ताव पेश किया था, मगर यह खारिज हो गया। क्योंकि रूस ने खुद इसके खिलाफ वीटो पॉवर लगा दिया। रूस के वीटो लगाने से ही यह प्रस्ताव गिर गया। इससे अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को बड़ा झटका लगा है।
भारत के नक्शेकदम पर चले चीन और ब्राजील
भारत ने रूस से अपनी दोस्ती निभाते हुए और यूक्रेन से संबंधों का ख्याल रखते हुए मतदान में भाग नहीं लिया। इस प्रकार भारत ने न तो रूस के खिलाफ में मतदान किया और न ही यूक्रेन के पक्ष में। ऐसे में भारत इस मामले में गुटनिर्पेक्ष रहा। चीन और ब्राजील भी भारत के कदम पर चले। इन दो देशों ने भी यूएन में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
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