लंदन: नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाले ब्रिटिश लेखक काजुओ इशिगुरो को जब 2017 का पुरस्कार देने की घोषणा की गई तो उन्हें शुरू में लगा कि यह अफवाह है। जापान में जन्मे 62 वर्षीय के लेखक ने कहा कि यह पुरस्कार एक अद्भुत सम्मान है लेकिन साथ ही यह बात मानी कि नोबेल समिति ने उनसे संपर्क नहीं किया था। उन्होंने BBC से कहा, ‘इसलिए मैं इस बात को लेकर निश्चित नहीं था और मुझे लगा कि यह कोई अफवाह है।’
इशिगुरो ने कहा कि यह पुरस्कार एक शानदार सम्मान है, खासकर इसलिए क्योंकि इसका मतलब है कि मैं महान लेखकों के पदचिन्हों पर हूं, इसलिए यह एक शानदार सम्मान है। लंदन में रहने वाले लेखक को यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ के लिए दिया गया जिसके लिए उन्होंने 1989 में मैन बुकर प्राइज जीता था। उन्हें विशेषकर ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ के अलावा उनके एक और उपन्यास ‘नेवर लेट मी गो’ के लिए जाना जाता है। दोनों ही रचनाओं पर सफल फिल्में बन चुकी हैं। ब्रिटिश लेखक साहित्य जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान अपने नाम करने वाले 114वें व्यक्ति हैं।
इशिगुरो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नोबेल पुरस्कारों से दुनिया में सकारात्मकता का संचार होगा। उन्होंने कहा, ‘दुनिया इस समय एक अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है और मुझे उम्मीद है कि सभी नोबेल पुरस्कारों से दुनिया में सकारात्मकता का संचार होगा।’ इशिगुरो को बधाई देते हुए भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी ने कहा, ‘मेरे पुराने मित्र इश को बधाई जिनके काम को मैं तब से पसंद करता रहा हूं और कायल हूं जब मैंने उनकी पहली किताब ‘अ पेल व्यू ऑफ हिल्स’ पढ़ी थी। और वह गिटार भी बजाते हैं, गाने भी लिखते हैं।’
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