लंदन। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने भारत में पाए गए कोरोना वायरस के तीन स्वरूप में से एक स्वरूप को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) विभाग ने कोरोना वायरस के एक भारतीय स्वरूप बी.1.617.2 को लेकर कहा है कि यह अन्य दो स्वरूपों की अपेक्षा अधिक संक्रामक है और तेजी से फैलता है। कोरोना के बी.1.617.2 स्वरूप को वीओसी-21एपीआर-02 का नाम दिया गया है।
कोरोना का यह स्वरूप पिछले वर्ष इंग्लैंड में पाए गए कैंट स्वरूप से कम संक्रामक है और यह ब्रिटेन में अब तक सक्रिय बना हुआ है। पीएचई ने कहा कि वीओसी-21एपीआर-02 के मामले पिछले एक सप्ताह के दौरान 202 से 520 हो गए हैं और आधे दर्जन के करीब मामले संपर्क अथवा विदेशी यात्रा के कारण आए हैं। कोरोना वायरस के इस स्वरूप के अलावा अब तक बी.1.617 और बी.1.617.3 पर शोध चल रहा है।
पीएचई की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, बी.1.617 के 61 नमूनों समेत कुल 500 नमूनों पर शोध किया जा रहा है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का बी.1.617.2 स्वरूप ब्रिटेन में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कैंट स्वरूप के मुकाबले कम संक्रामक है। कोरोना का यह स्वरूप ब्रिटेन के बोल्टन और लंदन में तेजी से फैल रहा है। कोरोना के म्यूटेशन को लेकर पीएचई लगातार विभिन्न अकादमिक और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर इस पर अनुसंधान कर रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बात के अब तक कोई सुबूत नहीं मिले हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप पर वैक्सीन काम नहीं करेगी। दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूपों में स्पाइक प्रोटीन में बदलाव देखने को मिला है जिसके जरिए यह मानव कोशिकाओं से जुड़ जाता है।
दरअसल, किसी भी वायरस की यह प्रकृति होती है कि वह म्यूटेंट हो कर अपने रूप और अस्तित्व को बरकरार रखे। भारत में कोविड-19 की दूसरी भयावह लहर के पीछे कोरोना वायरस के इसी स्वरूप को जिम्मेदार माना जा रहा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी ली और उन्हें स्पष्ट तौर पर इससे निपटने के निर्देश दिए गए हैं।
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