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ब्रिटेन: लंदन में आयोजित खालिस्तान समर्थक रैली मामले से ब्रिटिश सरकार ने खुद को अलग किया

लंदन के ट्राफ्लगार स्क्वेयर में सिख अलगाववादी समूह द्वारा खालिस्तान के समर्थन में आयोजित की गई रैली के मुद्दे से ब्रिटेन की सरकार ने खुद को अलग कर लिया है।

UK government distances itself from Khalistan Rally issue | Pixabay Representational- India TV Hindi UK government distances itself from Khalistan Rally issue | Pixabay Representational

लंदन: इस महीने की शुरुआत में लंदन के ट्राफ्लगार स्क्वेयर में सिख अलगाववादी समूह द्वारा खालिस्तान के समर्थन में आयोजित की गई रैली के मुद्दे से ब्रिटेन की सरकार ने खुद को अलग कर लिया है। सिख फॉर जस्टिस समूह ने तथाकथित ‘लंदन डिक्लरेशन ऑन रेफ्ररेंडम 2020 रैली' यानी '2020 में खालिस्तान देश बनाने के लिए जनमतसंग्रह रैली' 12 अगस्त को आयोजित की थी। इससे भारत और ब्रिटेन के बीच राजनयिक गतिरोध पैदा हो गया था क्योंकि भारत ने ब्रिटेन को चेतावनी दी थी कि इस समूह को रैली आयोजित करने की अनुमति देने से पहले वह दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंध के बारे में सोचे। भारत का कहना था कि यह रैली ‘हिंसा और अलगाववाद’ का प्रचार करती है।

ब्रिटेन की सरकार के एक सूत्र ने बताया, 'हालांकि हमने रैली को आयोजित करने की मंजूरी दी लेकिन इसे इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए कि हम इसके समर्थन या विरोध में हैं। हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि यह भारत के लोगों और भारत सरकार का प्रश्न है।' ब्रिटेन सरकार की यह टिप्पणी सिख फॉर जस्टिस समूह और ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (FCO) के बीच हुए पत्रों के आदान-प्रदान की खबर के बाद आया है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह पत्र ‘सिख आत्मनिर्भरता के लिए अभियान’ के बारे में लिखा गया था। सिख फॉर जस्टिस समूह ने ब्रिटेन सरकार के प्रतिनिधियों के साथ एक छोटी बैठक की अपील की थी, जिसमें वह सिख समुदाय के मुद्दे उठाने वाले थे। 

FCO ने इस बैठक से इंकार करते हुए कहा कि वह सिख मुद्दे में शामिल सभी पक्षों को बातचीत के जरिए मतभेद को सुलझाने को बढ़ावा देते हैं। 17 अगस्त को एक अज्ञात पत्र प्राप्त हुआ जिसमें ‘डेस्क ऑफिसर फॉर इंडिया' लिखा हुआ था। इसमें कहा गया है कि ब्रिटेन को अपने देश में पुराने समय से चल रही इस परंपरा पर गर्व है कि लोग स्वतंत्रतापूर्वक जमा हो सकते हैं और अपने विचारों का प्रदर्शन कर सकते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है, 'ब्रिटेन सरकार अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुई घटनाओं के साथ ही 1984 में हुए घटनाक्रम के संबंध में सिख समुदाय की भावनाओं से भलिभांती परिचित है। हम सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करने को कहते हैं कि उनका घरेलू कानून अतंरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप हों।'

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