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जर्मनी: परेशानियों से बचने के लिए सीरियाई शरणार्थियों ने बनाया एप्प

बर्लिन: यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश में नवांगतुकों को अपने रोजमर्रा के कामों के लिए लंबी कतारों, दुरूह कागजी कार्रवाई, जटिल उच्चारण वाले जर्मन शब्दों जैसी चुनौतीपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ है लेकिन

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बर्लिन: यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश में नवांगतुकों को अपने रोजमर्रा के कामों के लिए लंबी कतारों, दुरूह कागजी कार्रवाई, जटिल उच्चारण वाले जर्मन शब्दों जैसी चुनौतीपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ है लेकिन अब इसके लिए उद्यमी सीरियाई शरणार्थियों की एक टीम ने एक एप्प तैयार किया है। शरणार्थियों के लिए घर, स्वास्थ्य सुरक्षा और एक बैंक खाता खोलने जैसे कामों के लिए समझ में नहीं आने वाली प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसी को आसान बनाने के लिए यह एप्प तैयार किया गया है जिसे ब्यूरेक्रेसी नाम दिया गया है।

छह नये प्रोग्रामर वाली टीम बर्लिन के रेडल स्कूल ऑफ डिजिटल इंटीग्रेशन की है। यह एक गैर सरकारी संगठन है जो कोडिंग और उद्यमशीलता में शरणार्थियों को प्रशिक्षित करता है। इस संगठन ने फरवरी में 42 छात्रों के साथ पहली कक्षा शुरू की जिसमें से जून में 35 को डिप्लोमा प्रदान किया गया। एप्प तैयार करने वाली टीम में शामिल 30 वर्षीय एक व्यक्ति उमर अलशफई ने बताया, जब मैं पहली बार आया तो लंबी कतारें देख कर मैं हैरान रह गया, कोस्टेनुईबेरनाहमे नामक एक दस्तावेज के लिए मुझे दो सप्ताह इंतजार करना पड़ा। राज्य के खर्च पर एक आपर्टमेंट या होटल में रहने का कोई प्रावधान नहीं है।

अप्रैल 2015 में दमिश्क आने वाले अलशफई ने बताया, जब मैंने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया, तो यह जर्मन भाषा में था। हमें नहीं मालूम था कि हम किस पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।

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