PAK पीएम इमरान खान बोले- अखबार पढ़ना, टीवी पर चैट शो देखना बंद कर दिया है
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि मीडिया में उन्हें निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर नकारात्मकता फैलाई जा रही है और इसी के चलते उन्होंने सुबह अखबार पढ़ना और शाम को टीवी पर चैट शो देखना बंद कर दिया है।
दावोस: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि मीडिया में उन्हें निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर नकारात्मकता फैलाई जा रही है और इसी के चलते उन्होंने सुबह अखबार पढ़ना और शाम को टीवी पर चैट शो देखना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा लागू किए जा रहे गहरे संस्थागत और प्रशासनिक सुधारों के लाभ हासिल करने के लिए पाकिस्तान को एक पीड़ादायक प्रक्रिया से तो गुजरना ही था। उन्होंने सब लोगों से इसके परिणामों के लिए ‘संयम’ बरतने की अपील की।
खान ने यहां जलपान सत्र में कहा, ‘‘यह ऐसा है जैसे आप जन्नत जाना चाहते हैं लेकिन मरना नहीं चाहते। यह बुरा उदाहरण हो सकता है इसलिए मैं कहूंगा कि आप ट्यूमर को हटवाना तो चाहते हैं लेकिन सर्जरी का दर्द बर्दाश्त नहीं करना चाहते।’’ खान ने इस दौरान प्रवासी पाकिस्तानियों और वैश्विक नेताओं के सामने पाकिस्तान और उसकी आर्थिक संभावना पर अपने विचार रखे। खान यहां वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) वार्षिक बैठक 2020 में हिस्सा लेने के लिए आए हैं।
उन्होंने कहा कि उनका नजरिया पाकिस्तान को ‘‘मानवीय, न्यायपूर्ण और कल्याणकारी समाज’’ के तौर पर बनाना है जिसकी परिकल्पना बाबा-ए-क़ौम (जिन्ना) ने की थी। उन्होंने कहा, ‘‘40 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं और इसलिए आलोचना का आदी हूं लेकिन पिछले डेढ़ साल में मीडिया में मुझे बुरी तरह निशाना बनाया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बेहतर मैं यही कर सकता था कि मैं अखबार पढ़ना और शाम में चैट शो देखना बंद कर दूं। समस्या यह है कि मेरे अधिकारी इन्हें देखते हैं और फिर उनमें जो भी कहा जाता है उसके बारे में मुझे बताते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि सब्र रखें। इन तमाम आलोचनाओं का मुकाबला करने और आखिरकार सफल होने के लिए बहुत राजनीतिक इच्छाशक्ति और साहस की जरूरत होगी।’’ खान ने कहा, ‘‘यह मुश्किल होगा। थोड़े समय के लिए दर्द होगा और आगे संघर्ष करना होगा लेकिन भरोसा रखें कि पाकिस्तान का अच्छा समय आने वाला है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आप सुधारों की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, खासकर प्रशासनिक सुधार कर रहे हैं तो इसका तुरत फुरत परिणाम मिलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘आप किसी संस्थान को तुरंत बर्बाद कर सकते हैं लेकिन उसे फिर से खड़ा करने में समय लगता है। ’’