बर्लिन: वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि फेफड़ों की कौन सी कोशिकाएं नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार होती हैं। यह खोज कोविड-19 के इलाज के लिए दवाओं के विकास की दिशा में बेहद मददगार हो सकती है। ‘द एंबो’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। जर्मनी में बर्लिन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (बीआईएच) के वैज्ञानिकों समेत अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने देश के हीडलबर्ग लंग बायोबैंक के, फेफड़ों के कैंसर के 12 रोगियों के नमूनों का विश्लेषण किया।
उन्होंने स्वस्थ रोगियों के श्वसन तंत्र की कोशिकाओं का भी अध्ययन किया जिन्हें फेफड़ों के कैंसर की संभावना को खारिज करने के लिए की गयी ब्रोंकोस्कोपी के दौरान मामूली सर्जरी के जरिये एकत्रित किया गया। अध्ययन में शामिल बीआईएच के वैज्ञानिक रोलैंड ईल्स ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जो रोगी कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं, उनसे मिले आंकड़े इस वायरल संक्रमण को समझने में अहम जानकारी देंगे।’’
बीआईएच के ही क्रिस्चियन कोनरैड ने कहा, ‘‘हम पता लगाना चाहते थे कि कौन सी कोशिकाओं पर कोरोना वायरस हमला करता है।’’ वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि श्वसन तंत्र में कुछ प्रोजेनिटर कोशिकाएं कोरोना वायरस की ग्राही कोशिकाओं के विकास के लिए जिम्मेदार होती हैं। उन्होंने बताया कि वायरस की सतह पर मौजूद प्रोटीन कोशिका की सतह पर मौजूद एसीईटू ग्राही से संबद्ध हो जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए एक या अधिक कारकों की भी जरूरत होती है।
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