ब्रिटेन का वीजा पाने के लिए रूसियों ने बोला था झूठ, पूर्व जासूस पर किया था जानलेवा हमला
ब्रिटेन के सैलिस्बरी में पूर्व डबल एजेंट सर्गेई स्क्रीपल पर हमला करने वाले रूसियों ने ब्रिटेन का वीजा हासिल करने के लिए झूठ बोला था।
लंदन: ब्रिटेन के सैलिस्बरी में पूर्व डबल एजेंट सर्गेई स्क्रीपल पर हमला करने वाले रूसियों ने ब्रिटेन का वीजा हासिल करने के लिए झूठ बोला था। शुक्रवार को सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, नर्व एजेंट के जरिए पूर्व डबल एजेंट स्क्रीपल को मारने की कोशिश करने के आरोपी इन 2 रूसी नागरिकों ने ब्रिटिश वीजा हासिल करने के लिए खुद को कारोबारी बताया था। ब्रिटिश अधिकारियों ने रूसी सेना की खुफिया शाखा के संदिग्ध सदस्य माने जाने वाले अलक्सांद्र पेत्रोव और रुसलान बोशिरोव के खिलाफ यूरोपीय गिरफ्तारी वॉरंट जारी किए हैं।
इन दोनों रूसी नागरिकों पर आरोप है कि उन्होंने इस साल चार मार्च को ब्रिटेन के सैलिस्बरी शहर में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उसकी बेटी यूलिया को नर्व एजेंट नोविचोक से मारने की कोशिश की। लंदन का मानना है कि उन्हें इसके लिए रुसी सरकार ने मंजूरी दी थी। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों व्यक्तियों ने सेंट पीटर्सबर्ग स्थित ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास से वीजा हासिल करने के लिए खुद को कारोबारी के रूप में पेश किया था। उन्होंने कथित तौर पर अधिकारियों को बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़े हैं। दोनों ने वीजा हासिल करने के वास्ते आवश्यक परिसंपत्तियां साबित करने के लिए अपने बिजनेस कार्ड और बैंक खातों का ब्योरा भी जमा किया था।
पुलिस का कहना है कि दोनों लोगों ने पेत्रोव और बोशिरोव नामों से रूसी पासपोर्टों पर यात्रा की थी, लेकिन यह पक्का है कि ये उनके असली नाम नहीं हैं। उनके असली नामों के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को पता है। ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि हमले के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जिम्मेदार हैं, जिसे मॉस्को ने खारिज किया है। अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी ने बृहस्पतिवार को इस विश्लेषण का समर्थन करते हुए बयान जारी किया कि जहरीले हमले के लिए दो रूसी एजेंट जिम्मेदार हैं। इसके कुछ घंटे बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में, जहां ब्रिटेन ने अपनी जांच रिपोर्ट रखी, अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि जो हुआ, उससे हर किसी को वाकिफ होना चाहिए।
हालांकि, रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने ब्रिटेन पर बार-बार झूठ बोलने का आरोप लगाया। मार्च में हुए हमले के बाद ब्रिटेन और इसके सहयोगी देशों ने दर्जनों रूसी राजनयिकों को अपने यहां से निकाल दिया था। बदले में, रूस ने भी इसी तरह की कार्रवाई की थी।