मास्को: चुनाव हैकिंग मामले में अमेरिका की कार्रवाई के बाद रुस ने भी "माक़ूल जवाब" देने की धमकी दी है और अमेरिका पर चुनाव में दख़लंदाज़ी के बेबुनियाद आरोप लगाकर संबंध बर्बाद करने का आरोप लगाया है।
ग़ौरतलब है कि हैकिंग के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को कथित रुप से प्रभावित करने के मामले में कड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूसी खुफिया एजेंसियों एवं इनके शीर्ष अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और 35 रूसी अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश भी दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने वाशिंगटन स्थित रूसी दूतावास और सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास से 35 राजनयिकों को निकाल दिया है। इनको और इनके परिवार से 72 घंटे के भीतर अमेरिका छोड़ने के लिए कहा गया है।
रुसी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका ''दोनों देशों के संबंधों को, जो पहले से ही ख़राब हो चुके हैं, निश्चित रुप से बर्बाद करना चाहता है।" उन्होंने कहा कि रुस "प्रतिफल के सिद्धांतो पर आधारित माक़ूल जवाब देगा।"
रुस की अंतरराष्ट्रीय मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष लियोनिद स्लतस्की ने कहा, "रुस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध और 72 घंटे के भीतर 35 रुसी राजनयिकों को देश छोड़ने का फ़रमान पागलपन का सबूत है। वे लोग एक बार फिर हमारे देश के ख़िलाफ़ आक्रामक रवैया अपना रहे हैं।"
ओबामा ने रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर करीब-करीब ये आरोप लगाया था कि उन्होंने ख़ुद चुनाव में हैकिंग करने का आदेश दिया था। कई डेमोक्रेट्स का मानना है कि इस बैकिंग की वजह से ही नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन हारी। अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियों ने कहा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी और क्लिंटन स्टाफ के ई-मेल बैककर उन्हें सार्वजनिक करने के पीछे मक़सद रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को जिताना था।
ग़ौरतलब है कि डोनाल्ड पुतिन की तारीफ़ करते रहे हैं।
अमेरिकी सरकार रुस की साइबर गतिविधियों से संबंधित गुप्त सूचनाओं को सार्जनिक करने जा रही है ताकि कंपनियां भविष्य में सावधान रह सकें।
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