बर्लिन: सदियों से मनुष्य का ऐसा मानना रहा है कि यदि आस - पास के कुत्ते और बिल्लियां अजीब व्यवहार करने लगे तो ऐसा समझ लिया जाता था कि अब भूकंप आने की आशंका है , लेकिन इस धारणा को लेकर पहली बार किए गए एक गहन विश्लेषण से पता चला है कि इसके पीछे कोई ठोस सबूत नहीं है। ‘ बुलेटिन ऑफ द सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका ’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि ऐसे सबूत ज्यादातर किस्से - कहानियां व किवदंतियां पर आधारित होते हैं , जिनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता। (एक ऐसा एंजाइम जो प्लास्टिक को खाकर कर देगा खत्म, वैज्ञनिकों से हुआ गलती से विकसित )
शोधकर्ताओं ने भूकंप की 160 घटनाओं के संदर्भ में असामान्य हरकत करने वाले जानवरों की 729 रिपोर्ट का अध्ययन किया है। जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओसाइंसेस के हीको वाइथ ने कहा , ‘‘ भूकंप का पूर्वानुमान लगाने वाले जानवरों की क्षमता व इसकी संभावना पर कई समीक्षा पत्र मौजूद हैं , परन्तु हमारे ज्ञान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि डेटा का मूल्यांकन करने के लिए एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है। ’’
शोधकर्ताओं ने हाथियों से लेकर रेशम के कीड़े तक विभिन्न प्रकार के जानवरों में संभावित भूकंप के पूर्वानुमान लगाने की क्षमता पर आधारित रिपोर्ट एकत्र कर इनका अध्ययन किया।
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