प्रिंस नाम क्यों' रखना है तो मोगली या टारजन रख लो
पेरिस: बच्चों का नाम रखते समय शायद ही कोई मां-बाप यह सोचते होंगे कि इसके लिए उन्हें अदालत भी जाना पड़ सकता है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चों का नाम मां-बाप अपनी ही पसंद
पेरिस: बच्चों का नाम रखते समय शायद ही कोई मां-बाप यह सोचते होंगे कि इसके लिए उन्हें अदालत भी जाना पड़ सकता है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चों का नाम मां-बाप अपनी ही पसंद से रखते है लेकिन फ्रांस में ऐसा नहीं होता है। यहां इस मामले में मां-बाप अपनी मर्जी नहीं चला सकते।
इसी तरह के एक मामले में फ्रेंच कोर्ट ने मां-बाप को अपने बेटे का नाम ‘प्रिंस विलियम’ रखने से रोक दिया। गौरतलब है कि ब्रिटेन के राजकुमार का नाम भी प्रिंस विलियम है।
यह मामला दक्षिणी फ्रांस के पेरिनाह शहर का है। यहां एक दंपत्ति ने अपने नवजात बच्चे का नाम प्रिंस विलियम रखा। जब वह रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सिविल रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचे तो वहां अधिकरियों ने यह नाम रजिस्टर करने से मना कर दिया।
कोर्ट पहुंचा मामला
जब विवाद बढ़ा तो मामला कोर्ट में पहुंचा। जज ने दंपत्ति से पूछा, ‘आप बच्चे का यही नाम क्यों रखना चाहते है ?’ तो पिता ने कहा, ‘हमें लगता है कि इस नाम से उसे भविष्य में फायदा मिलेगा, क्योंकि यह रॉयल फैमिली से जुड़ा है।’ इस पर जज ने कहा, ‘जब तुम सही में राजा नहीं हो तो बेटा सिर्फ नाम रखने से कैसे राजकुमार बन जाएगा, इसका तो गलत ही असर पड़ेगा। बड़े होने पर बच्चे उसे चिढ़ाएंगे..तब। कोई और नाम सुझाओ।’ इस पर पिता ने कहा, ‘मिनी कूपर’। जज साहब फिर भड़क गए और कहा, ‘ये भी बैन है, बेटा इंसान है, क्यों उसे कार का नाम दे रहे हो, कुछ अलग ही तरह का नाम रखना चाहते हो तो टारजन, मोगली, खलेसी जैसे नामों पर विचार कर लो।’
नुटेला की जगह दिया एला नाम
ऐसा ही एक मामला उत्तरी फ्रांस में सामने आया था। यहां एक दंपत्ति अपने बच्चों का नाम नुटेला और रसबेरी रखना चाहते थे लेकिन अदालत ने मना कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके नाम को लेकर जिंदगी भर मजाक बनाया जाएगा। नुटेला ब्रेड पर लगाया जाने वाला चॉकलेट क्रीम है। फिर अदालत ने उसे बच्चे का एला नाम दिया।
नियुक्त किए जाते है खास जज
फ्रांस में बच्चो पर पड़ने वाले गलत असर को देखते हुए नया कानून लाया गया। जिसके तहत किसी प्रोडक्ट, फल या सब्जी के नाम के अलावा कोई ऐसा नाम नहीं रख सकते जिनकी वजह से बड़े होने पर बच्चों का मजाक बनने की आशंका हो। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए खास जज भी नियुक्त किए जाते हैं।