पेरिस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवाश्म ईंधन के जरिए समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने वाले विकसित देशों को बेबाक चेतावनी देते हुए आज कहा कि यदि वे भारत जैसे विकासशील देशों पर उत्सर्जन कम करने का बोझ स्थानांतरित करेंगे तो यह नैतिक रूप से गलत होगा। उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स के ओपिनियन खंड में आज लिखा, साझी किंतु अलग अलग जिम्मेदारियों का सिद्धांत हमारे सामूहिक उपक्रम का आधार होना चाहिए। इसके अलावा कोई भी अन्य सिद्धांत नैतिक रूप से गलत होगा।
उन्होंने विकसित देशों से कहा कि वे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अधिक बोझ उठाने के अपने कर्तव्य का निवर्हन करें। ब्रिटेन के प्रमुख दैनिक अखबार में लिखे लेख में मोदी ने कहा, कुछ का कहना है कि आधुनिक देशों ने समृद्धि की दिशा में अपना मार्ग जीवाश्म ईंधन के जरिए एक ऐसे समय पर तय किया, जबकि मानवता को इसके असर की जानकारी भी नहीं थी। यह लेख जलवायु परिवर्तन पर सीओपी21 सम्मेलन की शुरूआत के समय प्रकाशित हुआ है।
मोदी ने कहा, चूंकि विग्यान आगे बढ़ गया है और उर्जा के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध हैं... ऐसे में वे दलील देते हैं कि अपनी विकास यात्रा की शुरूआत भर करने वालों पर उन देशों की तुलना में कोई कम जिम्मेदारी नहीं है, जो तरक्की के चरम पर पहुंच चुके हैं। हालांकि नयी जागरूकता के जरिए आधुनिक देशों को ज्यादा जिम्मेदारी उठानी चाहिए। सिर्फ इसलिए कि तकनीक मौजूद है, इसका यह अर्थ नहीं कि वह संवहनीय और प्राप्य है।
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