ग्लासगो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन ग्लासगो में अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन छोटे द्वीप समूह देशों के सामने अस्तित्व की चुनौती है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा-'यह सबसे संकटग्रस्त देशों के लिए कुछ करने का संतोष देता है इसके लिए सीडीआरआई को बधाई। मैं आस्ट्रेलिया और यूके सहित सभी सहयोगी देशों और खासकर मॉरिसिस तथा जमैका जैसे छोटे द्वीपसमूहों का स्वागत करता हूं और उनको धन्यवाद देता हूं।'
पीएम मोदी ने कहा-' पिछले कुछ दशकों ने सिद्ध किया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से कोई भी अछूता नहीं है, चाहे वो विकसित देश हों और फिर प्राकृतिक संसाधनों से धनी देश हों, यह सभी के लिए बड़ा खतरा है, लेकिन सबसे अधिक खतरा छोटे द्वीप समूहों वाले देशों को है यह उनके लिए जीवन मृत्यु की बात है और उनके अस्तित्व की चुनौती है, जलवायु परिवर्तन की आपदाएं उनके लिए सचमुच प्रलय का रूप ले सकती हैं। ऐसे देशों के जलवायु परिवर्तन उनकी अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती है, ऐसे देश पर्यटन पर बहुत निर्भर है लेकिन प्राकृतिक आपदाओं की वजह से पर्यटक आने से घबराते हैं।'
नरेंद्र मोदी ने कहा-'पिछले कई दशकों में हुए स्वार्थपूर्ण व्यव्हार की वजह से प्रकृति का जो अस्वाभाविक रूप सामने आया है उसका परिणाम आज निर्दोष छोटे आइलैंड देश झेल रहे हैं, इसलिए मेरे लिए CDRI या आइरिस सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात नहीं है बल्कि मानव कल्याण के अत्यंत संवेदनशील दायित्व का हिस्सा है, यह मानव जातf के प्रति हम सभी की कलेक्टिव जिम्मेदारी है और हम सभी के पापों का साझा प्रयाश्चित भी है।'
पीएम मोदी ने कहा-' CDRI का जन्म वर्षों के मंतन और अनुभव का परिणाम है, छोटे द्वीप देसों पर मंडरा रहे जलवायु परिवर्तन के खतरे को भांपते हुए भारत ने पैसिफिक आइलैंड देशों के साथ सहयोग के लिए विशेष व्यवस्थाएं बनाई, हमने उनके नागरिकों को सोलर तकनीकों में ट्रेंड किया, इंफ्रा के विकास पर योगदान दिया, इस कड़ी में आज इस प्लेटफार्म पर मैं भारत की तरफ से एक नई पहल की घोषणा कर रहा हूं, भारत की स्पेस एजेंसी इसरो सीड्स के लिए एक स्पेशल डेटा विंडो का निर्माण करेगी और सेटलाइट के माध्यम से साइक्लोन वगैहर के बारे में समय पर जानकारी मिलती रहेगी।'
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