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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत, रूस नैसर्गिक साझीदार: PM मोदी

सेंट पीटर्सबर्ग: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और रूस नैसर्गिक साझीदार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने संबंधों के विस्तार के लिए नये क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए जो काफी जांचा-परखा है। रूस के अखबार

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सेंट पीटर्सबर्ग: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और रूस नैसर्गिक साझीदार हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने संबंधों के विस्तार के लिए नये क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए जो काफी जांचा-परखा है। रूस के अखबार रोसिसकाया गजट में आज छपे एक लेख में मोदी ने लिखा है, हम अच्छे और बुरे हर वक्त में साथ रहे हैं।

प्रधानमंत्री की सेंट पीटर्सबर्ग यात्रा से पहले यह लेख छपा है जहां वह कल राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ 18वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक फोरम में शिरकत करेंगे जहां भारत पहली बार साझेदार देश बनेगा।

मोदी ने कहा, भारत-रूस के संबंध 1947 के बाद नाटकीय रूप से बदले विश्व में सबसे स्थायी रहे हैं। यह समय की कसौटी पर खरे उतरे मजबूती के साथ विकसित होते गए। हमारे संबंधों का लचीलापन इस तथ्य पर आधारित है कि यह समानता, विश्वास और परस्पर लाभ के सिद्धांतों पर आधारित है।

प्रधानमंत्री ने भारत में औद्योगिक ढांचे के विकास में पूर्ववर्ती सोवियत संघ के सहयोग की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, पिछले 70 वर्षों में भारत एक बड़े और विविध औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी आधार के रूप में विकसित हुआ है। हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।

मोदी ने कहा कि 1991 की घटनाओं के बाद रूस फिर से अंतरराष्ट्रीय पहुंच और प्रभाव के साथ वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि इसकी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण हुआ है और नयी पीढ़ी देश को आगे ले जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा सहयोग भारत-रूस संबंधों की मजबूती का स्तम्भ है। रूस के उपकरण और प्रौद्योगिकी हमारे रक्षा बलों का मुख्य आधार हैं।

उन्होंने कहा, हमारी समकालीन साझेदारी का प्रतीक आज सखालिन एक में भारतीय निवेश और वेंकोर तथा तास...युरयाख तेल के कुएं में निवेश है, कुडनकुलम में नाभिकीय उर्जा संयंत्र और ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम परियोजना है। भारत रूस के दवा उद्योग क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदार है। उन्होंने कहा, लेकिन हम अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं हो सकते और नहीं होना चाहिए और नये क्षेत्र खोलने का प्रयास करना चाहिए।

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