A
Hindi News विदेश यूरोप फाइजर की कोरोना वैक्सीन पर नया अध्ययन, सामने आई ये अच्छी खबर

फाइजर की कोरोना वैक्सीन पर नया अध्ययन, सामने आई ये अच्छी खबर

फिनलैंड में 180 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों पर किये गए एक अध्ययन के मुताबिक फाइजर के कोविड-19 रोधी टीके की दो खुराक सार्स-सीओवी-2 के स्वरूपों के खिलाफ “काफी अच्छी” एंटीबॉडी तैयार करती है।

फाइजर की कोरोना वैक्सीन पर नया अध्ययन, सामने आई ये अच्छी खबर- India TV Hindi Image Source : AP फाइजर की कोरोना वैक्सीन पर नया अध्ययन, सामने आई ये अच्छी खबर

लंदन: फिनलैंड में 180 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों पर किये गए एक अध्ययन के मुताबिक फाइजर के कोविड-19 रोधी टीके की दो खुराक सार्स-सीओवी-2 के स्वरूपों के खिलाफ “काफी अच्छी” एंटीबॉडी तैयार करती है। नेचर कम्यूनिकेशंस पत्रिका में 28 जून को प्रकाशित इस शोध में पाया गया कि पहली बार ब्रिटेन में सामने आए अल्फा स्वरूप के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उतनी ही मजबूत है जितनी चीन के वुहान में 2019 में सामने आए मूल वायरस के खिलाफ थी। 

इसमें पाया गया कि पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सामने आए बीटा स्वरूप के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कुछ घटी लेकिन टीके ने निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी बना ली थीं जो स्वरूप के खिलाफ अपेक्षाकृत बेहतर सुरक्षा देती हैं। निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी विषाणुओं से कोशिकाओं की सुरक्षा के लिये जिम्मेदार होती हैं। तुर्कु विश्वविद्यालय और हेलसिंकी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना वायरस टीकाकरण से उभरने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अध्ययन किया। 

यह अध्ययन पिछले साल दिसंबर में फिनलैंड में शुरू किया गया था। उन्होंने 180 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों में टीके की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया। इन कर्मियों में से प्रत्येक को फाइजर-बायोएनटेक एमआरएनए टीके की दो खुराक लग चुकी थीं। अनुसंधानकर्ताओं ने इनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की तुलना कोविड-19 के ठीक हो चुके मरीजों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से की। इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागी 20 से 65 साल आयुवर्ग के थे और इनमें से 149 महिलाएं तथा 31 पुरुष थे। 

कोविड-19 से ठीक हो चुके 50 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया जो 19 से 93 साल आयुवर्ग के बीच के थे जिनमें से 33 महिलाएं और 17 पुरुष थे। जिन लोगों को टीके लग चुके थे उनमें टीके की दो खुराकों के बाद मूल वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर शानदार पाया गया। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वायरस के अल्फा स्वरूप के खिलाफ भी उतनी ही मजबूत मिली। 

तुर्कु विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इक्का जुल्कुनैन ने कहा, “यह अध्ययन कोविड-19 टीके की प्रभावशीलता और कामकाजी उम्र वाली आबादी में उनकी उम्र या लिंग को लेकर भेदभाव किये बगैर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को उभारने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। मैंने जिन भी टीकों का अध्ययन किया है यह उनमें से सबसे प्रभावी टीकों में से एक है।” 

बीटा स्वरूप के खिलाफ यद्यपि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कमजोर है लेकिन जिन लोगों को टीका लगा था उनमें निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी वायरस के स्वरूप के खिलाफ अपेक्षाकृत बेहतर सुरक्षा देती हैं। यह अध्ययन दुनिया भर में प्रसारित हो रहे वायरस के अन्य स्वरूपों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और सुरक्षा को लेकर जारी रहेगा। इसमें भारत में सबसे पहले मिले डेल्टा स्वरूप को लेकर भी अध्ययन किया जाएगा।

Latest World News