अगर फरवरी 2020 तक नहीं सुधरा पाकिस्तान, तो हो जाएगा ब्लैकलिस्ट: FATF अध्यक्ष
FATF अध्यक्ष जियांगमिन लियू ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए न सिर्फ ज्यादा बल्कि तेजी से कदम उठाने होंगे।
नई दिल्ली। FATF अध्यक्ष जियांगमिन लियू ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए न सिर्फ ज्यादा बल्कि तेजी से कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ वैश्विक मानकों को पूरा करने में पाक की विफलता को हमने गंभीरता पूर्वक लिया है। अगर फरवीर 2020 तक पाकिस्तान महत्वपूर्ण प्रगति नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में कायम रखा
आतंकवाद को मुहैया कराए जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ‘एफएटीएफ’ ने शुक्रवार को पाकिस्तान को अगले साल फरवरी तक के लिये अपनी ‘ग्रे सूची’ में रख दिया। धन शोधन (मनी लॉड्रिंग) और आतंकवाद को धन मुहैया कराए जाने के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई करने में इस्लामाबाद के नाकाम रहने को लेकर यह कदम उठाया गया है।
वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की यहां पांच दिवसीय पूर्ण बैठक संपन्न होने के बाद यह फैसला लिया गया। इसमें इस बात का जिक्र किया गया कि पाकिस्तान को लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिये दी गई 27 सूत्रीय कार्ययोजना में इस्लामाबाद सिर्फ पांच पर ही काम करने में सक्षम रहा।
उल्लेखनीय है भारत में सिलसिलेवार हमलों के लिये ये दोनों आतंकी संगठन जिम्मेदार रहे हैं। बैठक में यह आमराय रही कि इस्लामाबाद को दी गई 15 महीने की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना पर खराब प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान को उसकी ‘ग्रे सूची’ में कायम रखते हुए एफएटीएफ ने धन शोधन और आतंकवाद को मुहैया कराये जा रहे धन को रोकने में नाकाम रहने को लेकर इस्लामाबाद को कार्रवाई की चेतावनी दी। एफएटीएफ पाकिस्तान की स्थिति के बारे में अगले साल फरवरी में अंतिम फैसला लेगा।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर अपना फैसला सार्वजनिक करते हुए वैश्विक वित्तीय संस्थानों को नोटिस दिया है कि वे फरवरी 2020 में किसी अकस्मात स्थिति के लिये अपनी प्रणालियों को तैयार रखें। उल्लेखनीय है कि यदि पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में कायम रखा जाता है या ‘डार्क ग्रे’ सूची में डाला जाता है, तो उसकी वित्तीय हालत कहीं अधिक जर्जर हो जाएगी। ऐसी स्थिति में इस देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलनी बहुत मुश्किल हो जाएगी।