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Hindi News विदेश यूरोप विपक्ष ने टेरेसा में से ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की भूमिका बताने को कहा

विपक्ष ने टेरेसा में से ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की भूमिका बताने को कहा

लंदन: ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ने देश की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से कल शुरू हो रही भारत की उनकी तीन दिवसीय यात्रा से पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में

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लंदन: ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ने देश की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से कल शुरू हो रही भारत की उनकी तीन दिवसीय यात्रा से पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में सच्चाई बताने को कहा है। लेबर पार्टी के उप नेता टॉम वाटसन ने कल कहा कि ब्रिटेन का सिख समुदाय सिख फेडरेशन यूके द्वारा लगाए गए इन आरोपों के मद्देनजर सच जानने का हकदार है कि ब्रिटेन फोरेन ऑफिस ने जून 1984 में स्वर्ण मंदिर पर सैन्य अभियान में ब्रिटेन की संलिप्तता के नए सबूत वाली फाइल हटा दी हैं।

वाटसन ने कहा, थेरेसा मे को भारत की यात्रा से पहले 1984 में स्वर्ण मंदिर पर हुए हमले और इसके बाद की घटनाओं में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में सच्चाई बतानी चाहिए। इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि जितना उस समय जानकारी थी, मार्ग्रेट थैचर के प्रशासन ने भारत के साथ उससे भी अधिक निकटता से काम किया था।

वाटसन का बयान उन दावों के बाद आया है जिनमें कहा गया था कि फोरेन ऑफिस ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान आंतरिक सुरक्षा दायित्वों के लिए एक राष्ट्रीय गार्ड के गठन में सैन्य सहायता के भारत के एक अनुरोध के बाद ब्रिटेन की सेना की स्पेशल एयर सर्विसेज (SAS) इकाई के शामिल होने की संभावनाओं का जिक्र करने वाली फाइलों को जानबूझकर हटा दिया है।

फोरेन ऑफिस ने कहा कि उसने फाइलों को केवल उधार लिया था। लेबर पार्टी ने कहा कि फाइलें अस्तित्व में हैं, यह तथ्य अहम सवाल खड़े करता है। वाटसन ने कहा, डेविड कैमरन की पूर्ववर्ती जांच सभी तथ्यों का खुलासा नहीं करती और हमें अब पता चला है कि जनसंहार संबंधी अहम नए दस्तावेज मंत्रियों ने नेशनल आर्काइव से हटा दिए है। इन नए दस्तावेजों के अस्तित्व में होने का खुलासा यह दर्शाता है कि संसद को पूर्व विदेश सचिव ने संभवत: अनजाने में गुमराह किया है।

उन्होंने कहा, जवाब मांगते-मांगते 30 से अधिक साल बीत गए हैं, ऐसे में ब्रिटेन का सिख समुदाय सच जानने का हकदार है, भले ही मौजूदा सरकार के लिए यह कितना भी शर्मिंदगी भरा क्यों न हो। कैबिनेट सचिव की आंतरिक जांच की असफलता के बाद इन मामलों में पूर्ण स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

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