जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार में कमांडर इन चीफ सहित शीर्ष सैन्य अधिकारियों पर रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के लिए मुकदमा चलना चाहिए। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट मे कहा गया है कि रखाइन राज्य में नरसंहार व अन्य इलाकों में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इन सैन्य अधिकारियों से पूछताछ हो और मुकदमा चलाया जाए। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषी मिशन द्वारा सैकड़ों लोगों के साक्षात्कारों, शोधों और विश्लेषणों पर आधारित है।
इस रिपोर्ट में म्यांमार सेना के कृत्यों की संयुक्त राष्ट्र द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार सेना ने पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार किए थे। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रखाइन राज्य में मानवीय संकट के लिए नोबल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के नेतृत्व वाली म्यांमार सरकार को दोषी ठहराया गया है।’ इसमें कहा गया है सरकार घटनाओं को प्रकट करने के खिलाफ बोलने में विफल रही, उसने रखाइन राज्य में सबूतों को नष्ट कर झूठी खबरें फैलाई और स्वतंत्र जांच को प्रतिबंधित किया।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में पाया गया कि कचिन, रखाइन औस शान राज्यों में मानवाधिकार उल्लंघन और अत्याचार का स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत निस्संदेह सबसे जघन्य अपराधों के समान है। म्यांमार सरकार लगातार कह रही है कि उसके अभियान में आतंकियों और विद्रोही खतरे को निशाना बनाया गया। आपको बता दें कि रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा कुछ जवानों की हत्या के बाद म्यांमार की सेना ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया था। सेना के इस ऑपरेशन के चलते 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
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