विलनियस: लिथुआनिया ने ताइवान को राजधानी विलिनियस में अपने नाम से कार्यालय खोलने की इजाजत देने के बाद शुक्रवार को चीन से अपने राजदूत को बुला लिया। बता दें कि ताइवान और लिथुआनिया ने जुलाई में कार्यालय खोलने पर सहमति जताई थी। चीन ने पिछले महीने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। इस कार्यालय का नाम चीनी ताइपे की बजाय ताइवान के नाम पर होगा। गौरतलब है कि चीन की नाराजगी के डर से कई देशों में ताइवान को चीनी ताइपे कहा जाता है।
चीन ने कहा था, अंजाम भुगतना पड़ सकता है
लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजदूत डियाना मिकएविसिएन को 'चीन सरकार के 10 अगस्त के बयान के बाद विचार-विमर्श के लिये बीजिंग से बुलाया लिया गया है।' पिछले महीने चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाकर बाल्टिक देश से 'उसके गलत निर्णय को सुधारने व इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिये कदम उठाने और फिर कभी गलत मार्ग पर नहीं चलने के लिए कहा था।' बयान में लिथुआनिया से कहा गया था कि यदि उसने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है। हालांकि इसके अलावा चीन ने और कोई जानकारी नहीं दी थी।
ताइवान के केवल 15 देशों से राजनयिक संबंध
लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन के कदम पर खेद व्यक्त करते हुए जोर देकर कहा कि वह 'एक चीन' के सिद्धांत का सम्मान करता है, लेकिन वह ताइवान के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिए तैयार है, जैसे कि अन्य कई देश कर चुके हैं। चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसके पास राजनयिक पहचान नहीं है। हालांकि फिर भी ताइवान व्यापार कार्यालयों के जरिए अमेरिका और जापान समेत सभी प्रमुख देशों से अनौपचारिक संबंध रखता है। इन कार्यालयों को वास्तव में उसका दूतावास माना जाता है। चीन के दबाव के चलते ताइवान के केवल 15 देशों के साथ ही राजनयिक संबंध हैं।
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