पेरिस: राष्ट्रपति बशर अल असद के अपने ही नागरिकों पर किए गए कथित रसायनिक हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त रूप से सीरिया पर हमला बोल दिया। बताया जा रहा है कि इस हमले में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेनाओं ने 100-120 मिलाइलें दागीं। इस हमले के बाद फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां यवेस लि दरियान ने शनिवार को दावा किया कि ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका द्वारा सीरिया पर किए गए इन मिसाइल हमलों में सीरिया के रसायनिक हथियारों के भंडार के ‘बड़े हिस्से’ को ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब सीरिया ने सबक सीख लिया है।
उन्होंने कहा कि फ्रांस के पास ‘ठोस खुफिया जानकारी’ है कि पिछले सप्ताहांत विद्रोहियों के कब्जे वाले डौमा शहर पर गैस हमले के लिए सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद सरकार जिम्मेदार है जिसमें कम से कम 40 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के इस हमले से ईरान और रूस की सरकारें बुरी तरह तिलमिला गई हैं। इसके अलावा चीन ने भी सीरिया पर हमले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है। चीन ने कहा है कि इस तरह सीरिया मसले का हल निकालना मुश्किल हो जाएगा।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खमनेई ने कहा है कि सीरिया पर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से किया गया हमला एक अपराध था और इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सीरिया पर किए गए हमले को ‘आक्रामकता वाला कृत्य’ करार देते हुए कहा कि यह सीरिया में मानवीय संकट को और बढ़ाएगा। क्रेमलिन द्वारा जारी बयान में रूस के नेता ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा किए गए हमले को लेकर मॉस्को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुला रहा है।
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