मॉस्को: भारत ने मंगलवार को रूस से कहा कि अगर उसके पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 7 दशक पुराने रहस्य पर कोई सूचना है तो वह उसे साझा करे।
यह नया घटनाक्रम उस वक्त सामने आया जब कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि सरकार अगले साल 23 जनवरी से सुभाष चंद्र बोस से संबंधित गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करना आरंभ करेगी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावारोव के साथ मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘रूसी मंत्री ने कहा कि वह इस मामले पर गौर करेंगे और अगर कोई सूचना है तो उससे भारत को अवगत कराएंगे।’ बोस के परिवार को लगता है कि नेताजी के लापता होने के संदर्भ में जापान, रूस और ब्रिटेन सहित कई देशों के पास सूचना है।
नेताजी के परिवार के साथ पिछले सप्ताह मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि ‘इतिहास को दबाने की कोई जरूरत नहीं है।’ मोदी ने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह विदेशी सरकारों से उनके पास उपलब्ध नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए लिखित रूप से और नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान निजी रूप से कहेंगे।
पहले की सभी सरकारें इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से यह कहकर इंकार करती रहीं कि इससे दूसरे देशों के साथ भारत के संबंध खतरे में पड़ सकते हैं। खुद मोदी के कार्यालय ने इसी साल अगस्त में कहा था कि फाइलों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे दूसरे देशों के साथ संबंधों पर विपरीत असर पड़ेगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में नेता जी से संबंधित 64 फाइलें सार्वजनिक की थीं। इसके बाद से गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग तेज होने लगी।
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