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गुरूत्वीय तरंगे खोल सकती हैं ब्लैक होल के बड़े राज

गुरूत्वीय तरंगों का उपयोग जल्द ही ब्रह्मांड के सबसे बड़े ब्लैक होल के जन्म से जुड़े सवालों को सुलझाने में किया जायेगा। इसमें ब्लैक होल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई जैसे सवाल शामिल हैं।

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लंदन: गुरूत्वीय तरंगों का उपयोग जल्द ही ब्रह्मांड के सबसे बड़े ब्लैक होल के जन्म से जुड़े सवालों को सुलझाने में किया जायेगा। इसमें ब्लैक होल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई जैसे सवाल शामिल हैं। ब्रिटेन में डरहम विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की अगुवाई में वैग्यानिकों ने वृहद पैमाने पर ब्रह्मांड से जुड़े सिमुलेशन किये, जिसका उपयोग अब इस दिशा में किया जायेगा कि विशालकाय ब्लैक होल की टक्कर किस दर से होती है, जिससे गुरूत्वीय तरंग उत्पन्न होते हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इन तरंगों के आयाम और आवृत्ति से उस चीज का शुरआती द्रव्यमान पता चलेगा जिससे पहले ब्लैक होल की उत्पत्ति हुई थी क्योंकि उनका जन्म 13 अरब वर्ष पहले हुआ था। इससे यह जानकारी भी मिलेगी कि उनकी उत्पत्ति कैसे और कहा हुई। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इवॉलव्ड लेजर इंटरफेरोमीटर स्पेस एंटीना डिटेक्टर के 2034 तक काम शुरू करने की संभावना है और इसके बाद बहुत बड़े आकार के ब्लैक होल के बीच की टक्कर से उत्पन्न गुरूत्वीय तरंगों का वर्ष में कम-से-कम दो बार पता लगाया जा सकेगा।

फरवरी में अंतरराष्ट्रीय लिगो और विर्गो ने पहली बार गुरूत्वीय तरंग का पता लगाने की घोषणा की थी। इस महीने में दूसरी बार गुरूत्वीय तरंग का पता लगाया गया था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत के तहत 100 वर्ष पहले गुरूत्वीय तरंगों की परिकल्पना की थी।

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