बर्लिन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान परमाणु समझौता तोड़ने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी हलचल हो रही है। इसी कड़ी में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने बुधवार को कहा कि 2015 के एतिहासिक परमाणु समझौते में ईरान को बनाए रखने के लिए जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ‘सब कुछ’ करेंगे। अमेरिका मंगलवार को समझौते से बाहर निकल गया है, जिसके बाद मर्केल ने यह बात कही है। मर्केल ने कहा,‘हम इस समझौते के प्रति प्रतिबद्ध बने रहेंगे और ईरान समझौते का अनुपालन करे, यह सुनिश्चित करने के लिए सबकुछ करेंगे।’
उन्होंने कहा कि बर्लिन ने पेरिस और लंदन के साथ संयुक्त रूप से यह फैसला किया है। समझौते को तोड़ने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर अफसोस जाहिर करते हुए मर्केल ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और इसके सीरिया एवं इराक में प्रभाव को लेकर चिंताओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘(परमाणु) समझौते से आगे भी मुद्दे हैं जिन पर अवश्य ही बात की जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि यूरोप के देश इस समझौते को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखते हैं, जिस पर हमें कभी संदेह नहीं करना चाहिए।
हालांकि, मर्केल की पार्टी के विदेश नीति प्रमुख नोरबर्ट रोटगेन ने चेतावनी दी कि अमेरिका के बिना समझौते का अनुपालन करना मुश्किल होगा क्योंकि ईरान में कारोबार कर रही यूरोपीय कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने डेर स्पीगेल पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि प्रभावित कंपनियां शायद बहुत तेजी से अपने निवेश वापस लेंगी या ईरान से लौट आएंगी।
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