एम्सटर्डम: आतंकवादी संगठन तालिबान का सरगना अफगानिस्तान में सालों तक अमेरिकी सैन्य अड्डे से महज कुछ कदमों की दूरी पर रहा करता था और वह पाकिस्तान में कभी नहीं छिपा, जबकि अमेरिका का मानना था कि वह पाकिस्तान में छिपकर रह रहा है। एक नई किताब में यह दावा किया गया है। समाचारपत्र 'द गार्डियन' के मुताबिक, डच पत्रकार बेट्टी डैम की किताब 'द सीक्रेट लाइफ ऑफ मुल्ला उमर' में दावा किया गया है कि अमेरिकी सैनिकों ने तो एक बार मुल्ला उमर के घर को ढूंढ़ भी लिया था, जहां वह छिपा पड़ा था लेकिन वे उस सीक्रेट रूम को ढूंढ़ पाने में असफल रहे जो उसके लिए बना था।
वर्ष 2006 से अफगानिस्तान से र्पिोटिंग कर रहीं डैम ने पांच चाल से ज्यादा समय तक बायोग्राफी पर काम किया और तालिबान के सदस्यों के भी इंटरव्यू लिए, जो फरवरी में डच भाषा में प्रकाशित हुआ और जल्द ही अंग्रेजी में उपलब्ध होगा। किताब के मुताबिक, मुल्ला उमर कभी भी पाकिस्तान में नहीं छिपा, जबकि अमेरिका उसके पाकिस्तान में छिपने की बात मानता रहा। वह अफगानिस्तान के जाबुल प्रांत में अमेरिकी सैन्यअड्डे से महज तीन मील की दूरी पर रहा करता था।
बीबीसी ने बताया कि जब्बार ओमारी से बात करने में डैम कामयाब रहीं जो उस समय मुल्ला उमर का बॉडीगार्ड बना जब उमर 2001 में तालिबान का शासन खत्म होने के बाद छिपने के लिए गया। रिपोर्ट ने डैम के हवाले से कहा कि ओमारी ने उमर को 2013 में बीमारी से उसकी मौत होने तक छिपाया। किताब में कहा गया कि तालिबान के पतन के फौरन बाद मुल्ला उमर अमेरिकी सैन्यअड्डे के करीब बने घर के एक सीक्रेट रूम में छिपकर रहने लगा था। अमेरिका ने उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। मुल्ला उमर की मौत 23 अप्रैल, 2013 को हुई।
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