सिडनी: एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा किए जाने वाले व्यायाम का लाभ गर्भ में पल रही कन्या शिशु की अपेक्षा बालक शिशु को अधिक मिलता है। चूहों पर किए गए इस अनुसंधान में पाया गया कि मोटापे की शिकार माताओं के हल्के व्यायाम करने से उनके गर्भ में पल रही संतान के वजन, इंसुलिन स्तर और ब्लड ग्लूकोज के स्तर में कमी आती है, जिससे बड़े होने पर उनमें चयापचय संबंधी बीमारियां जैसे टाइप-2 मधुमेह होने का जोखिम कम हो जाता है।
हालांकि गर्भ में पल रही संतान के लड़का या लड़की होने पर एक जैसा नहीं होता। कन्या शिशु की अपेक्षा यह बालक शिशु के लिए अधिक फायदेमंद होता है।
मुख्य शोधकर्ता एवं आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के मार्गरेट मोरिस के अनुसार, "गर्भवती महिला द्वारा व्यायाम करने से गर्भ में पल रहे बालक शिशु के इंसुलिन एवं ग्लूकोज के स्तर में काफी सुधार आता है, जबकि कन्या शिशु के इंसुलिन एवं ग्लूकोज स्तर में सुधार का स्तर कम रहता है।"
अध्ययन के तहत मादा चुहिया को गर्भधारण करने से पहले छह सप्ताह तक और गर्भधारण करने के बाद भी उच्च वसायुक्त भोजन दिया गया।
उनमें से 50 फीसदी मादा चूहों को गर्भधारण करने से 10 दिन पहले व्यायाम करवाना शुरू किया गया और बच्चे को जन्म देने तक व्यायाम जारी रखा गया, जबकि शेष माद चूहों को निष्क्रिय ही छोड़ दिया गया।
बच्चों के जन्म के 19 दिनों के बाद उनमें ग्लूकोज, चयापचय स्तर की जांच की गई, जिससे उपरोक्त परिणाम सामने आए।
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