लंदन। ब्रिटेन ने अपनी संसद में चीन के राजदूत के घुसने पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन ने यह कदम चीन की उस कार्यवाही के बाद उठाया है जिसमें चीन ने कुछ ब्रिटिश सांसदों इसलिए प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि उन्होंने चीन के शिनजियांग प्रांत में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन को लेकर सवाल उठाया था। ब्रिटिश सांसदों, कुछ ब्रिटिश वकीलों और बुद्धिजीवियों ने शिनजियांग प्रांत में वीगर मुस्लिमों पर हो रहे चीनी अत्याचारों को लेकर आवाज उठाई थी और चीन ने उन ब्रिटिश नागरिकों को झूठा तथा भ्रम फैलाने वाला बताकर मार्च में प्रतिबंध लगा दिया था।
लेकिन अब ब्रिटेन ने भी चीन के खिलाफ इसी तरह का कदम उठाया है और चीनी राजदूत के वहां की संसद में घुसने पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन की हाउस ऑफ कॉमन तथा हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चीनी राजदूत के घुसने पर रोक लगाई गई है। लंदन में स्थित चीनी दूतावास के ब्रिटेन की संसद के इस कदम की निंदा की है। चीनी दूतावास की तरफ से कहा गया है कि ब्रिटेन की संसद की तरफ से उठाए गए इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।
दुनियाभर के देशों के आंतरिक मामलों को उलझाकर चीन लगातार फायदा उठाने की कोशिश में रहता है लेकिन जब उसके यहां वीगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अगर कोई देश आवाज उठाने लगे तो चीन को मिर्ची लग जाती है। ब्रिटेन के समाचार ग्रुप बीबीसी ने जब वीगर मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार की सच्चाई जब पूरी दुनिया के सामने रखना शुरू किया तो चीन ने अपने यहां बीबीसी पर भी रोक लगा दी थी। जबाव में ब्रिटेन ने भी चीन के सीसीटीवी पर अपने यहां प्रतिबंध घोषित कर दिया था।
दुनिया के अन्य देशों की तरह चीन का मीडिया स्वतंत्र नहीं है और पूरी तरह से वहां की वामपंथी सरकार के कंट्रोल में चलता है। चीन की वामपंथी सरकार का मीडिया दुनिया के सामने सिर्फ उन्हीं बातों को सामने रखता है जो चीन के हित में हो। चीन में होने वाली अंतर्कलह और विवादों को लेकर वहां का मीडिया कभी भी कोई जानकारी बाहर आने ही नहीं देता। चीन के शिनजियांग प्रांत में लंबे समय से वीगर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं और वहां पर मुसलमानों को न तो रोजा रखने की स्वतंत्रता होती है और न ही अपने तरीके से अपने धर्म का पालन करने की अनुमति।
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