लंदन: दुनियाभर में मौत की सजा में कमी आने के बावजूद चीन अभी भी फांसी की सजा देने के मामले में शीर्ष पर है। मृत्युदंड पर गुरुवार को जारी एमनेस्टी इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने साल 2017 में 23 देशों में कम से कम 993 मृत्युदंड के मामले दर्ज किए जो साल 2016 के 1,032 मामलों से चार फीसदी और साल 2015 के 1,634 से 39 फीसदी कम थे। साल 2015 का आंकड़ा साल 1989 के बाद से शीर्ष पर था। चीन के अलावा, मृत्युदंड के कुल दर्ज मामलों के 84 फीसदी मामले मात्र चार देशों- ईरान, सऊदी अरब, इराक और पाकिस्तान में पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार, बहरीन, जॉर्डन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात ने मृत्युदंड की सजा साल 2017 में फिर से शुरू की। (पाक राजनयिक विवाद: अमेरिका लगा सकता है राजनयिकों की आवाजाही पर कड़ी पाबंदी )
मृत्युदंड के मामलों में सर्वाधिक गिरावट बेलारूस में 50 फीसदी और मिस्र में 20 फीसदी हुई। हालांकि फिलिस्तीन में 2016 में तीन से 2017 में छह फीसदी, सिंगापुर में चार से आठ फीसदी और सोमालिया में 14 से 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। साल 2017 में गिनी और मंगोलिया में किसी भी तरह के अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा खत्म कर दी।
केन्या ने जहां हत्या के लिए मृत्युदंड की अनिवार्यता खत्म की, वहीं बुर्किनो फासो और चाड ने मृत्युदंड को खत्म करने वाले नए और प्रस्तावित नियम लागू करने के लिए प्रयास किए। रिपोर्ट के अनुसार भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और अमेरिका सहित 21 देशों में मृत्युदंड की सजा को कम करने या निरस्त करने के मामले देखे। संगठन ने साल 2017 में 53 देशों में मृत्युदंड के 2,591 मामले दर्ज किए जो साल 2016 में दर्ज हुए 3,117 मामलों से काफी कम हैं।
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