अमेरिका पर बड़ा आरोप, WTO में न्याय को कमजोर किया
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के वर्तमान न्यायाधीश को दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्त करने पर अमेरिका की आपत्ति से इस संगठन की स्वतंत्रता एवं प्रभावकता कमजोर होगी।
जेनेवा: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के वर्तमान न्यायाधीश को दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्त करने पर अमेरिका की आपत्ति से इस संगठन की स्वतंत्रता एवं प्रभावकता कमजोर होगी। बुधवार को मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते WTO के अन्य सदस्य देशों को बताया कि वह न्यायाधीश सेउंग वा चांग को WTO की अपीली संस्था में दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्त करने का समर्थन नहीं करेगा। चांग दक्षिण कोरिया के हैं, WTO के न्यायाधीश के रूप में उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यह संस्था WTO के सदस्यों के विवाद सामने आने पर समितियों की रपट पर अपील की सुनवाई करती है।
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, WTO का 20 साल पहले जब गठन हुआ था, उसी समय से वर्तमान सदस्य को सेवा का दूसरा चार साल का कार्यकाल देने की परंपरा रही है। पिछले साल अमेरिका और भारत के वर्तमान सदस्यों को दूसरा कार्यकाल दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने चांग का विरोध उनकी न्यायिक क्षमता या स्वतंत्रता की कमी की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए किया है क्योंकि उन्होंने अमेरिका के खिलाफ एक फैसले में हिस्सा लिया था।
हटने वाले कोरियाई सदस्य पर आरोप है कि वह शुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता यानी जनरल एग्रीमेंट ऑन टेरिफ एंड ट्रेड (जीएटी)/डब्ल्यूटीओ करारों से तीन मामलों में विचलित हुए।
अपीली संस्था के छह सदस्यों ने कहा, "खास मामलों से किसी सदस्य के दोबारा नियुक्ति को जोड़ने से भरोसे पर प्रभाव पड़ सकता है। चांग ने रपटों की गुणवत्ता बनाए रखने एवं हमारी रचनात्मक बेहतरी की सहायता करने के लिए हम लोगों के साथ में कड़ी मेहनत की है। सदस्यों ने चांग की निष्पक्षता, ईमानदारी एवं स्वतंत्रता की सराहना की है।"
कैलिफोर्निया इर्विन विश्वविद्यालय के एक विधि विशेषज्ञ ग्रेगरी शेफर ने कहा कि अमेरिका ने सक्रियता के साथ दूसरों पर नियम लागू कराने के लिए WTO विवाद निपटारा व्यवस्था का इस्तेमाल किया है, लेकिन यदि देश इस व्यवस्था की साख को नष्ट कर देगा तब यह अविश्वसनीय हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह एक ऐसे प्रशासन के लिए एक बहुत जोखिम वाली रणनीति है, जो दावे के साथ खुद को अंतर्राष्ट्रीयतावादी कहता है।