लंदन: महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की तुलना नफ़रत फैलाने वाले प्रचारक अंजुम चौदरी से करने के लिए बीबीसी के एक संपादक की चारो तरफ आलोचना हो रही है।
बीबीसी के होम अफ़ैयर एडिटर मार्क ईस्टन कठमुल्लापन से निपटने के लिए ब्रिटिश सरकार के नए क़ानूनों पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा "सरकार को ऐसे समय में ये क़ानून लाने की ज़रुरत मेहसूस हो रही जब सैंकड़ों मुसलमान जिहाद के लिए निकल रहे हैं और चौधरी जैसे लोगों की वाक्पटुता उन्हें उत्साहित कर रही है।
उन्होंने कहा "नफ़रत या हिंसा फ़ैलाने पर किसी पर प्रतिबंध लगाना एक बात है लेकिन क़ानून बनाकर ऐसे किसी की आवाज़ बंद करना जो चले आ रहे मूल्यों को चुनौती देता हो, दूसरी बात है।“
ईस्टन ने कहा "मैं आज पार्लियामेंट स्क्वैयर पर था –गांधी की एक प्रतिमा मेरी तरफ देख रही थी जिन्हें उग्रवादी होने के लिए जेल हुई थी; मंडेला को भी उग्रवाद के लिए जेल हुई थी। इतिहास बताता है कि कभी कभी अति उग्र विचार ऐसे पुराने मूल्यों को चुनौती देने के लिए ज़रुरी होते हैं जिन्हें लोग सीने से लगाए रखते हैं।
ईस्टन के इन कथन के सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर उनकी ज़ोरदार आलोचना होने लगी।
एक ने ट्वीट किया "चौधरी की तुलना गांधी से करना किसी सम्मानित पत्रकार को शोभा नहीं देता।"
एक अन्य ट्वीट में लिखा है "आप क्या ब्रिटैन के एक तुच्छ से व्यक्ति की तुलना गांधी और मंडेला से करने की कोशिश कर रहे हैं? ये अगर आपके विचार हैं तो वाक़ई बहुत घृणित हैं।"
बीबीसी के सिक्यूरिटी संवाददाता गॉर्डन कोरेरा ने एक स्पेशल लिखी थी जिसमें था कि "क्या उपदेशक अंजुम चौधरी कठमुल्लावादी ताक़त है?"
बुधवारे को सरकार के प्रस्तावित नए क़ानून पर बोलते हुए चौधरी ने सरकार पर ब्रिटैन में मुसलमानों के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा "ये शब्दाडम्बर धार्मिक और अभिव्यक्ति की आज़ादी के मूल्यों में विश्वास रखने वाले मुझ जैसे लोगों के ख़िलाफ़ है। इसका मक़सद युवाओं को अपराधी बनाना भी है।
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