मिंस्क: बेलारूस में हाल में ही हुए चुनाव के बाद से राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ देश विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। लोग लुकाशेंको के ऊपर चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाकर फिर से चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं। जनता के भारी विरोध को देखते हुए लुकाशेंको ने प्रदर्शनकारियों से साफ कह दिया है कि जब तक आप मुझे गोली नहीं मारेंगे, देश में दोबारा चुनाव होना असंभव है। बता दें कि चुनावों में लुकाशेंको को 80.23 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए, जबकि उनकी मुख्य विपक्षी उम्मीदवार 37 साल की स्वेतलाना तिखानोव्सना को सिर्फ 9.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
मेरे मरने के बाद ही होना नया चुनाव
राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने एक भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि आप चुनावों में धांधली की बात करके नया चुनाव कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक आप मुझे नहीं मारते, तब तक कोई नया चुनाव नहीं होगा। उनके इतना कहने पर भीड़ में से शोर उठा और लोगों ने ‘हां-हां, तुम्हारे बिना’ के नारे लगाए। बता दें कि बेलारूस में 65 वर्षीय राष्ट्रपति लुकाशेंको ने छठी बार चुनाव जीता है। पिछले कई चुनावों में उनके ऊपर धांधली करके जीत दर्ज करने के आरोप लगे हैं। इस बार भी कई स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं होने के लिए लुकाशेंको की आलोचना की है।
बेलारूस में फैक्टरियों के मजदूर हड़ताल पर
बेलारूस में फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूर लुकाशेंको पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाते हुए मंगलवार को भी हड़ताल पर रहे। राज्य नियंत्रित ज्यादातर कंपनियां और फैक्टरियां मंगलवार को इस हड़ताल में शामिल हो गयीं जो सोमवार को शुरू हुई थी। श्रमिकों ने मिंस्क में कई बड़ी ट्रैक्टर फैक्टरियों, सोलीगोर्स्क की एक बड़ी पोटाश उर्वरक फैक्टरी, सरकारी टेलीविजन और देश के अहम थियेटर का घेराव किया। चुनाव नतीजे के खिलाफ 9 दिनों तक चले अप्रत्याशित प्रदर्शन के बाद यह हड़ताल शुरू हुई है।
स्वेतलाना फरार होकर लिथुआनिया पहुंची
देश में बिगड़ते माहौल और कार्रवाई के डर से लुकाशेंको के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली मुख्य विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्सना देश छोड़कर फरार हो गई हैं। उन्होंने पड़ोसी देश लिथुआनिया में शरण ली है। स्वेतलाना को डर था कि यदि वह बेलारूस में रहती हैं तो उनके ऊपर बदले की कार्रवाई हो सकती है। चुनाव परिणाम के बाद जनता द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर स्वेतलाना ने कहा था कि वह चुनाव भले ही हार गई हों लेकिन हिम्मत नहीं हारी हैं और तानाशाही के खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा। बता दें कि लुकाशेंको 1994 में जब पहली बार चुनाव में जीत कर सत्ता में आए थे तब स्वेतलाना सिर्फ 9 साल की थीं।
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