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ये हैं 5 कारण ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन को अलविदा कहने के

यूरोपियन यूनियन में ब्रिटेन रहेगा या नहीं इसका फ़ैसला वहां के लोगों ने कर दिया है। ब्रिटेन अब यूरोपियन यूनियन में नहीं रहेगा। ब्रिटेन के करीब 52 फ़ीसद लोगों ने EU से बाहर रहने के

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यूरोपियन यूनियन में ब्रिटेन रहेगा या नहीं इसका फ़ैसला वहां के लोगों ने कर दिया है। ब्रिटेन अब यूरोपियन यूनियन में नहीं रहेगा। ब्रिटेन के करीब 52 फ़ीसद लोगों ने EU से बाहर रहने के पक्ष में जबकि 47 फ़ीसद ने बने रहने के पक्ष में वोट दिया है। इसकी औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी। ऐसा नहीं कि ये मसला कोई नया हो. सालों से कई राजनीतिक दल यूरोपियन यूनियन से अलग होने की हिमायत करती रही हैं।

बहरहाल, आइये जानते हैं वो 5 कारण जिसकी वजह से ब्रिटेन ने कहा यूरोपियन यूनियन को अलविदा।

बचेंगे 99 हज़ार 300 करोड़ रुपये

यूरोपियन यूनियन में बने रहने के लिए ब्रिटेन को हर साल बतौर मेंमबरशिप भारी रकम चुकानी पड़ती थी। रायशुमारी के फ़ैसले के बाद अब ब्रिटेन हर साल 99 हज़ार 300 करोड़ रुपये बचाएगा।

दूसरे देशों से आकर बसने वालों से मुक्ति

ब्रिटेन काफी समय से प्रवासी संकट से जूझता रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में हर रोज़ करीब 500 विदेशी आते हैं। EU से अलग हो जाने के बाद ब्रिटेन इन लोगों के आने पर न सिर्फ रोक लगा सकेगा बल्कि अपराधी प्रवासियों को निकाल बाहर भी कर सकेगा।   

EU पर हावी है अफ़सरशाही

माना जाता है कि यूरोपियन यूनियन में अफसरशाही है जो ब्रिटेन को बिल्कुल भी पसंद नहीं है। लोगों का आरोप है कि चंद नौकरशाह के हाथों में 28 देशों के लोगों का भविष्य होता है। यूरोपियन यूनियन में कई पूर्व राजनेता हैं जिनकी उनके देश में राजनीतिक पारियां खत्म हो चुकी हैं. इन्हें यहां मोटी तनख़्वाह पर रखा जाता है।

जनता के पैसों से ऐश करता है स्टाफ

यूरोपियन यूनियन के सांसदों को 19 हज़ार रुपये का दैनिक भत्ता मिलता है और साल भर में दूसरे ख़र्चों के लिए 31 लाख रुपये मिलते हैं सो अलग। इसके अलावा स्टाफ रखने के नाम पर इनको साल भर में 1 करोड़ 70 लाख रुपये अलग से मिलते हैं। इन्हें मोटी पगार तो मिलती ही है ऊपर से दूसरों के मुक़ाबले टैक्स भी कम देते हैं। लोगों का कहना है कि ये सुविधाएं जनता के पैसों से दी जाती हैं। मज़े की बात तो ये है कि EU के नौकरशाह डेविड कैमरून से भी ज्यादा सैलेरी लेते हैं।
 
खुलकर व्यापार कर सकेगा ब्रिटेन

यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद अब ब्रिटेन को अमेरिका और भारत जैसे देशों से मुक्त व्यापार करने की छूट मिल गई है। ब्रिटेन में फिलहाल 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कानून EU के ही लागू हैं। EU के मुकाबले ब्रिटेन बाकी दुनिया को करीब दो गुना ज्यादा निर्यात करता है।

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