स्टॉकहोम: इस साल रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार आणविक मशीनों पर कार्य के लिए फ्रांस के रसायन शास्त्री जीन-पियरे सॉवेज, स्कॉटलैंड के सर जे.फ्रेजर स्टुडॉर्ट तथा नीदरलैंड्स के एल.फेरिंगा को संयुक्त रूप से दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेंज ने इस साल यह पुरस्कार आणविक मशीनों की डिजाइन व निर्माण के लिए स्ट्रासबर्ग युनिवर्सिटी में काम करने वाले सॉवेज, अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न युनिवर्सिटी में कार्यरत स्टुडॉर्ट तथा रॉयल नीदरलैंड्स एकेडमी ऑफ साइंसेज के फेरिंगा को संयुक्त रूप से दिया है।
नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी एक बयान के मुताबिक, तीनों वैज्ञानिकों ने आणविक मशीनों पर कार्य किया है। यह नियंत्रित करने वाली नैनोमीटर आकार की संरचना है, जो रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक बल व गति में बदल सकती है।
उन्होंने नियंत्रित गति से उन अणुओं का विकास किया, जो ऊर्जा मिलने पर कार्य कर सकता है। बयान के मुताबिक, रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वालों ने मशीनों को अत्यंत सूक्ष्म बनाया और रसायन विज्ञान को एक नया आयाम दिया।
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