Xi Jinping: चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग को आज एक ताकतवर नेता के तौर पर जाना जाता है। जिन्होंने देश को अपनी मुट्ठी में एक तरह से कैद कर रखा है। उनकी लोकप्रियता भी खूब बढ़ रही है। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें ग्रासरूट पर काम करने का प्रचुर अनुभव है। वे चीन के सबसे निचले स्तर से निकल कर कदम ब कदम एक बड़े देश के नेता बने हैं। साल 1969 में 15 साल के शी जिनपिंग ने स्वैच्छिक रूप से उत्तर पश्चिमी चीन के एक गरीब गांव ल्यांग च्याह जाने के लिए अनुरोध किया था।
उस छोटे गांव में उन्होंने सात साल बिताए। वे स्थानीय किसानों के साथ खेती करते थे और गेहूं का बड़ा थैला उठाकर पैदल पांच किलोमीटर तक चल सकते थे। गांव वासियों की नजर में शी जिनपिंग एक मेहनती युवा थे। साल 1975 में शी जिनपिंग को चीन के मशहूर विश्वविद्यालय छिंगहुआ विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिला। साल 1979 में विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राज्य परिषद के जनरल कार्यालय और केंद्रीय सैन्य आयोग के जनरल कार्यालय में सचिव का काम शुरू किया।
सीपीसी चंगतिंग समिति के उप सचिव बने
मार्च 1982 में 29 साल की उम्र में शी जिनपिंग ने राजधानी पेइचिंग से 300 किलोमीटर दूर हपेइ प्रांत की चंगतिंग काउंटी में सीपीसी चंगतिंग समिति के उप सचिव का पद संभाला। वे दोबारा ग्रासरूट पर गए। इस परिवर्तन की चर्चा में शी जिनपिंग ने बाद में कहा कि पेइचिंग में नेताओं के साथ काम करने से आपकी सोच उन्नत होगी और दृष्टिकोंण विस्तृत होगा पर आप असली समाज और व्यापक जनता से दूर होंगे। सिर्फ ग्रासरूट में जाकर आप आम लोगों के लिए कुछ ठोस काम कर पाएंगे।
लोगों के जीवन के लिए जिनपिंग ने किए सुधार
उस समय चंगतिंग की जनसंख्या सिर्फ 4 लाख 50 हजार थी और प्रति व्यक्ति सालाना आय सिर्फ 150 युआन थी। स्थानीय लोगों के जीवन स्तर की उन्नति के लिए शी जिनपिंग ने बड़ा सुधार लागू किया और वस्तु अर्थव्यवस्था, पर्यटन परियोजना और कृषि तकनीक के विकास और प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए बड़ी कोशिश की। शी और उनके साथियों के समान प्रयासों से चंगतिंग का कायापलट हुआ।
2013 में चीन के राष्ट्रपति बने थे शी जिनपिंग
फिर साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद उन्होंने एक बार युवाओं से कहा कि हमारा राष्ट्र इसलिए गरीबी और कमजोरी से कदम ब कदम समृद्ध और शक्तिशाली हुआ क्योंकि पीढ़ी दर पीढ़ी के लोगों ने अदम्य भावना से संघर्ष किया है। इसलिए युवाओं को कठिनाई से न घबराते हुए साहस के साथ मुश्किल बुनियाद पर जाकर अपनी प्रतिभा बढ़ानी चाहिए।
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