World News: इंडोनेशिया के बाली में पदंगबाई बंदरगाह के तट पर सफेद शर्ट और पारंपरिक कपड़े पहने सैकड़ों लोग पहली बार अपने गांव में सामूहिक दाह संस्कार के लिए एकत्र हुए। पदंगबाई में ये परिवार 117 मृतकों का अंतिम संस्कार कर रहे थे। उन्हें पहले एक सार्वजनिक कब्रिस्तान में दफनाया गया था, जो श्मशान स्थल से ज्यादा दूर नहीं है। दाह संस्कार आमतौर पर परिवार अलग-अलग करते हैं, लेकिन सामूहिक दाह-संस्कार लागत के बोझ को कम करता है। कुछ परिवारों ने दाह संस्कार के लिए पांच साल से अधिक समय तक इंतजार किया। हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह शुरू हुआ, जब निवासियों ने शवों के साथ 20-फुट लंबी लकड़ी की मीनार और गज मीना (हाथी के सिर वाली मछली) के आकार में एक ताबूत के साथ समुद्र तट तक जुलूस निकाला।
अंतिम संस्कार में शामिल हुए परिजन अपने मृत सदस्य की तस्वीर लेकर आए थे जिसे उन्होंने ताबूत में लगा दिए। जैसे ही जुलूस कब्रिस्तान के चारों ओर एक विशाल स्थान पर पहुंचा, रिश्तेदारों ने अस्थियों को लिया और अंतिम संस्कार से पहले उन्हें ताबूत में डाल दिया। बाली के हिंदुओं का मानना है कि दाह संस्कार मृतकों की आत्मा को मुक्ति देता है ताकि वे जीवन का अगला चक्र शुरू कर सकें। करंगसेम सांस्कृतिक गांव के सचिव एका प्रिमावता ने कहा, ‘‘हम सामूहिक दाह संस्कार कर रहे हैं, इसलिए हम इसे एक साथ कर सकते हैं।’’
इंडोनेशिया में हिंदुओं के सामूहिक शवदाह की परंपरा रही है
इंदोनेशिया के बाली द्वीप पर हिंदूओं के सामूहिक शवदाह की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। यहां पर लोग विविधतापूर्ण समारोह में कई लोगों का शव एक साथ जलाते हैं। यहां के हिंदूओं का ऐसा मानना है कि मृतकों को जलाए जाने के बाद उनका पुनर्जन्म होता है। यहां पर रह रहे गरीब परिवार इन परंपराओं को अकेले नहीं निभाने में असमर्थ होता है इसलिए यहां सामूहिक शवदाह किया जाता है।
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