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बांग्लादेश में कब होंगे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, अंतरिम सरकार के शीर्ष अधिकारी ने दिया जवाब

बांग्लादेश में हुई व्यापक हिंसा की वजह से शेख हसीना को पीएम पद और देश दोनों ही छोड़ना पड़ा था। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। अब अंतरिम सरकार के एक अधिकारी ने देश में चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस- India TV Hindi Image Source : FILE AP बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस

ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि देश की मौजूदा स्थिति लगभग सामान्य है, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि हिंसा प्रभावित देश में गहन सुधार लाने के बाद स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने यहां विदेश सेवा अकादमी में मीडिया से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। आलम से जब पूछा गया कि बांग्लादेश में वर्तमान स्थिति क्या है और क्या यह सामान्य हो रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस विदेशी पत्रकारों से कह रहे हैं कि ‘आप सभी स्थानों जैसे ग्रामीण क्षेत्रों या ढाका के बाहर के शहरों या औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा करें, आप स्वयं स्थिति देखें और निर्णय लें कि यह सामान्य है या नहीं।’’ 

खुल गए हैं सभी पुलिस थाने

प्रेस सचिव ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि स्थिति सामान्य है, कुछ चुनौतियां हैं।’’ उन्होंने कहा कि सभी पुलिस थाने फिर से खुल गए हैं और वहां फिर से कार्य हो रहा है। हम मानते हैं कि यह (स्थिति) लगभग सामान्य है। चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रेस सचिव ने कहा कि बांग्लादेश में ‘‘गहन सुधार’’ किए जाने के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। 

शेख हसीना ने छोड़ा देश

बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद पांच अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर चली गईं थी। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के पतन और उनके जाने को ‘‘विजय दिवस’’ बताया था। हसीना पांच अगस्त को भारत पहुंचीं और फिलहाल वहीं रह रही हैं। 

अंतरिम सरकार का बड़ा कदम

इस बीच यहां यह भी बता दें कि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उन मृतकों और घायलों के परिवारों की देखभाल के लिए एक फाउंडेशन बनाने का फैसला किया है जिन्होंने देश में हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। सरकारी नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के खिलाफ जुलाई में शुरू हुए व्यापक प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 44 पुलिसकर्मियों समेत 600 से अधिक लोग मारे गए हैं। (भाषा)

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