Cyprus controversy: तुर्की हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए तैयार रहता है। कश्मीर के मुद्दे को लेकर तुर्की ने कई बार विवादित बयान दिया है। एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की ने कश्मीर का मसला उठा दिया इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री के एस जयशंकर ने तुर्की को करारा जवाब दिया। विदेश मंत्री ने साइप्रस का मुद्दा उठा दिया जिसके बाद तुर्की को खलबली मच गई। तुर्की हमेशा साइप्रस के मुद्दे पर कुछ भी कहने से बचता रहता है। जयशंकर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि तुर्की संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के हिसाब साइप्रस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकाले। आखिर यह साइप्रस का मुद्दा क्या है और क्यों तुर्की साइप्रस का नाम लेते हैं बैकफुट पर चला जाता है।
आखिर क्यों है ये महत्वपूर्ण
साइप्रस तुर्की के दक्षिण में स्थित है इसके पश्चिम में सीरिया और उत्तर पश्चिम में इजराइल है। इस इलाके को राजनीतिक और रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन क्षेत्रों जिसका कब्जा होगा वह भूमध्य सागर के पूर्वी भाग को कंट्रोल आसानी से कर सकता है। इसी वजह से हर कोई इस द्वीप पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। साइप्रस को 4 वर्गों में बाटा जाता है इसके उत्तर में तुर्की का दावा है तो वहीं दक्षिण भाग पर यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश है। इसी को साइप्रस का मुख्य भाग माना जाता है। आपको बता दें तुर्की भूमध्य सागर का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है।
ग्रीस को अपने कब्जे में कर लिया
साइप्रस में मुख्य रूप से ग्रीस और तुर्की के लोग बसे हुए हैं। इन दोनों के बीच काफी लंबे अरसे से नस्लीय विवाद चल रहा है। 1974 में तुर्की सेना ने इस द्वीप पर हमला बोला था। जिसके बाद साइप्रस की मशहूर शहर वरोशा को अपने कब्जे में कर लिया। ठीक उसी साल तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला करते हुए अवैध रूप से कई हिस्सों को कब्जा कर लिया। हालांकि उसी दौरान सैन्य विद्रोह भी हो गया जिसे ग्रीस ने खुलकर समर्थन किया। इस फैसले से तुर्की काफी और बौखला गया। अब ग्रीस के साथ समुद्र क्षेत्र को लेकर पहले से ही विवाद चलता रहा था। एक जमाने में ये शहर पर्यटकों से भरा होता था यहां कई ऊंची-ऊंची इमारतें भी हैं लेकिन अब यह इलाका पूरी तरह से वीरान हो चुका है। तुर्की ने 35,000 सैनिकों को इस क्षेत्र में तैनात कर रखा है।
अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने पर मजबूर
तुर्की के इस घातक हमले के कारण ग्रीस निवासी अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने पर मजबूर हैं। वही 20 हजार के करीब ग्रीक-साप्रियोट अपना घर छोड़ने के तैयार नहीं हुए। तुर्की ने इन सभी पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे ग्रीस के निवासी अपने मुल्कों को छोड़ने पर मजबूर हुए। दो हजार से ज्यादा लोगों को तुर्की के जेलों में रखा गया है। जिनका आज तक पता नहीं चल पाया कि वे जिंदा है या मर गए हैं।
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