Israel on Mumbai Terror Attck 26/11: मुंबई में 26/11 वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमले को 14 वर्ष बीत चुके हैं। इसस हमले में मारे गए लोगों के परिवारजनों को अभी भी इंसाफ का इंतजार है। उनका यह इंतजार तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक कि आतंक की पटकथा लिखने वाले पाकिस्तान में बैठे आकाओं का खात्मा नहीं कर दिया जाता। मुंबई में हुए आतंकी हमले को लेकर भारत के इस दर्द से इजरायल में गहरी सहानुभूति रखता है। इस मामले में वह भारत के साथ है। आज इजरायल में भी मुंबई हमले के खिलाफ कैंडिल मार्च निकालकर मृतकों और शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ इजरायल से आवाज उठाई गई।
दरअसल काफी संख्या में इजाराइली नागरिक 2008 के मुंबई आतंकी हमले को ‘‘साझा पीड़ा’’ मानते हैं और इसे लेकर देश में अभी तक आक्रोश है। लोगों ने इस हमले की बरसी को मनाने के लिए कई आयोजन किए और निर्मम हत्याओं की भर्त्सना की। इस नरसंहार की पाकिस्तान में साजिश रचने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। भारत में हुए इस हमले की 14 वीं बरसी पर एक दिन पहले से ही इजराइल में भारतीय कैंडल लाइट प्रदर्शन कर रहे हैं । उनके हाथों में तख्तियां एवं बैनर हैं जिनपर इस निर्मम हमले की नृशंसता को दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि 26/11 के मुंबई हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के जिन आतंकवादियों का हाथ था, उन्हें न्याय के शिकंजे में लाया जाए।
मुंबई हमले में मारे गए थे 166 लोग
वर्ष 2008 में 26 नवंबर को मुंबई हमला हुआ था, जो 29 नवंबर, 2008 तक चला था। इस हमले में कई विदेशी नागरिकों समेत 166 लोगों की जान गयी थी। वहीं 300 से अधिक घायल हुए थे। इस हमले की दुनियाभर में निंदा की गयी थी। भारतीय सुरक्षाबलों के हाथों नौ पाकिस्तानी आतंकवादी भी मारे गये थे। अजमल कसाब एकमात्र ऐसा आतंकवादी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था। उसे चार साल बाद 21 नवंबर, 2012 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। इजरायल तेलंगाना एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि सोमा ने कहा, ‘‘ जिन आतंकवादियों ने वहशीपन के साथ महिलाओं, बच्चों एवं बेगुनाहों की हत्या की , उनकी पहचान कर उनका सफाया किया जाना चाहिए।
आतंक को पनाह देने वालों पर प्रतिबंधों की मांग
मुंबई हमले के खिलाफ इजरायल में उठी आवाज के दौरान यह भी मांग की गई कि दुनिया के देशों को उन राष्ट्रों पर न केवल वित्तीय पाबंदियां लगानी चाहिए, बल्कि हर तरह से रोकना चाहिए जो आतंकवादियों को प्रश्रय देते हैं।’’ इजराइल में रह रहे तेलंगाना के लोगों ने इस नृशंस हमले में मारे गये लोगों की याद में रमात गन में एक कार्यक्रम किया एवं मोमबत्तियां जलायीं। उन्होंने इस हमले में जान गंवाने वाले छह यहूदियों का भी जिक्र किया एवं संकेत दिया कि यह भारत एवं इजराइल के बीच मजबूत रिश्ते को तोड़ने की सोची समझी कोशिश थी।
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