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बांग्लादेश में फिर हिंसा ने पकड़ी रफ्तार, झड़प में मरने वालों की संख्या पहुंची 27 के पार

बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। अब भीड़ प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़क पर उतर गई है। सत्तादल और प्रदर्शनकारियों के बीच में आज रविवार को भीषण हिंसक झड़प देखने को मिली। इस दौरान 27 लोगों की मौत हो गई।

बांग्लादेश में सड़क पर प्रदर्शनकारी। - India TV Hindi Image Source : AP बांग्लादेश में सड़क पर प्रदर्शनकारी।

ढाका: बांग्लादेश में महीनों से चल रही हिंसा ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ लिया है। राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच आज भीष झड़प हुई। रॉयटर्स के अनुसार मरने वालों की संख्या 27 पहुंच गई है।  30 अन्य घायल हुए हैं। सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी एक ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे। अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया और फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। समाचार पत्र ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के समर्थकों के बीच मुंशीगंज में हुई झड़प में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हुए हैं।’’

खबर में हालांकि, मृतकों की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है। समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24’ की एक खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए। प्रदर्शनकारी असहयोग आंदोलन के पहले दिन राजधानी के साइंस लैब चौराहे पर भी एकत्र हुए और उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए। विरोध प्रदर्शन के संयोजकों ने बताया कि ढाका के साइंस लैब, धानमंडी, मोहम्मदपुर, टेक्निकल, मीरपुर-10, रामपुरा, तेजगांव, फार्मगेट, पंथपथ, जतराबाड़ी और उत्तरा में भी प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की जाएंगी।

वाहनों को किया आग के हवाले

समाचारपत्र ‘डेली स्टार’ के अनुसार, रविवार को बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी (बीएसएमएमयू) में अज्ञात लोगों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। खबर के अनुसार, लाठी-डंडे लिए लोगों को अस्पताल परिसर में निजी कार, एम्बुलेंस, मोटरसाइकिलों और बसों में तोड़फोड़ करते देखा गया, जिससे मरीजों, तीमारदारों, चिकित्सकों और अन्य कर्मियों में भय पैदा हो गया। (रॉयटर्स)

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