अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अगले सप्ताह मुलाकात पर दुनिया के देशों की नजर रहेगी। दोनों के बीच 14 नवंबर को मुलाकात होगी। हाल के समय में ताइवान के मामले को लेकर चीन और अमेरिका आमने सामने आ गए थे, जब अमेरिकी प्रतिनिधि ने चीन के ऐतराज के बाद भी ताइवान की यात्रा की थी। तब चीन की धमकी के बाद अमेरिका ने भी अपने जंगी जेट दक्षिण चीन महासागर में भेज दिए थे। वहीं यूक्रेन और रूस की जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के प्रस्ताव पर रूस के विरोध में वोट करने से चीन हमेशा बचता रहा है। इस पर भी अमेरिका और चीन के बीच में तनातनी है।
इससे पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय जब उन्होंने चीन से कारोबार के दौरान टैरिफ बढ़ा दिया था। तब भी दोनों देशों के रिश्ते खटास से भर गए थे। इसी बीच कोरोना वुहान से फैला।, इस बात को ट्रंप ने खुलेआम बोला। यहां तक कि कोविड वायरस को चाइनीज वायरस भी कहा।इन सभी मुद्दों पर अमेरिका और चीन के बीच तनातनी ही हाल के वर्षों में रही है।
क्या दोनों देशों में कम होगी रिश्तों की खटास?
इन सभी तनातनियों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले हफ्ते अहम मुलाकात करेंगे। दोनों के बीच 14 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में मुलाकात होगी। इस दौरान अमेरिका और चीन के बीच बातचीत जारी रखने और आपसी संबंधों को और गहरा करने के प्रयासों पर चर्चा होगी। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने और प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करने पर भी बात करेंगे। व्हाइट हाउस के मुताबिक, दोनों देशों के विकास और भलाई के लिए जहां जरूरी होगा, मिलकर काम करने जैसे मुद्दों पर भी बात होगी।
प्रेस सचिव कारीन जीन-पियरे ने कहा कि दोनों नेता कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। जनवरी 2021 में बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी। दोनों नेताओं ने फोन पर पांच बार बात की है।
जुलाई माह में हुई थी दोनों राष्ट्राध्यक्षों में वर्चुअल मीटिंग
इससे पहले जुलाई के अंत में दो घंटे की कॉल के दौरान बाइडन और शी ने चर्चा की। इसके बाद हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। चीन ने पेलोसी के खिलाफ प्रतिबंध लगाए और द्वीप के चारों ओर लाइव-फायर सैन्य अभ्यास शुरू किया। बीजिंग ने हस्तक्षेप न करने के लिए भी बाइडन को जिम्मेदार ठहराया।
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