China-America: अमेरिका और चीन के बीच तनातनी जगजाहिर है। इसी बीच चीन से एक और बड़ी खबर आई है। चीन की राजधानी बीजिंग में चीनी हैकर्स ने अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स के ईमेल खाते में ही सेंध लगा दी है। इस घटना पर अमेरिका नाराज हो गया है। इस मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय जांच में जुट गया है। चीन के हैकर्स ने बीजिंग में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स के ईमेल खाते में सेंधमारी की है। समाचार एजेंसी रायटर ने अमेरिकी अखबार स्ट्रीट जर्नल के हवाले से यह जानकारी दी है। इससे पहले पूर्वी एशिया के सहायक सचिव डैनियल क्रिटेनब्रिंक के खाते को भी हैक कर लिया गया था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
इस मामले में विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो विभाग ने किसी भी तरह के विवरण को देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। हालांकि, मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस जासूसी अभियान की जांच की जा रही है। दरअसल, अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले हफ्ते कहा था कि चीनी हैकरों ने उसकी एक डिजिटल कुंजी का दुरुपयोग किया और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों और अन्य ग्राहकों से ईमेल तक पहुंच बनाने के लिए उसके कोड में एक खामी का इस्तेमाल किया है।
चीनी ने सभी आरोपों को किया खारिज
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स के जिस ईमेल अकाउंट को हैकरों ने हैक किया है, उन्होंने इसी ईमेल के माध्यम से कम से कम हजारों व्यक्तिगत अमेरिकी सरकारी ईमेल से समझौता किया है। इस मामले में वाशिंगटन में चीन के दूतावास ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दुष्प्रचार करार दिया था।
वाणिज्य मंत्री के ईमेल में भी की घुसपैठ
चीन के हैकर्स ने वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो के ईमेल में भी घुसपैठ की है। अमेरिकी अधिकारी लगातार चीन को साइबरस्पेस में अमेरिका के सबसे खतरनाक विरोधी के रूप में बताते रहे हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो हाल के समय में बार-बार दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना रहा है। एफबीआई ने भी कहा है कि बीजिंग में अन्य सभी सरकारों की तुलना में बड़ा हैकिंग प्रोग्राम है। बहरहाल चीन के हैकरों ने गैर-गोपनीय अमेरिकी सरकारी ईमेल सिस्टम में घुसपैठ की है।
स्पाई बैलून को लेकर भी दोनों देशों में हुई थी तनातनी
इससे पहले अमेरिका की डिफेंस बिल्डिंग पेंटागन के पास एक चीनी जासूसी गुब्बारे का मामला भी कुछ महीने पहले सामने आया था। तब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश के बाद इस संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को मिसाइल के हमले से गिरा दिया गया था। तब चीन ने इस घटना पर कड़ा ऐतराज जाहिर किया था। इसके बाद से ही अमेरिका और चीन में तनातनी और बढ़ गई थी। कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 'तानाशाह' करार दिया था। इस मामले पर भी चीन ने कड़े तेवर दिखाए थे।
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