अफगानिस्तान में जब से तालिबानी हुकूमत आई है तब से महिलाओं पर पाबंदी लगाने का सिलसिला जारी है। पहले तालिबानियों ने लड़कियों और महिलाओं की पढ़ाई पर रोक लगाई। उसके बाद महिलाओं के काम करने पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए, इतना ही नहीं इस हुकूमत ने महिलाओं के बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी है। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति दिन-व-दिन बदतर होती जा रही है, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा होती रही है। अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने तालिबान के इस रवैये पर गहरी चिंता जाहिर की है।
पाबंदी को तत्काल खत्म करने का आह्वान
इसके साथ ही UN ने संयुक्त राष्ट्र की अफगानी महिला स्टाफ को काम करने से रोक लगाने पर नाराजगी जताई है। यूएनएससी ने तालिबानी नेताओं से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर लगाई गई पाबंदी को तत्काल खत्म करने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अप्रैल की शुरुआत में घोषित पाबंदी मानवाधिकारों और मानवीय सिद्धांतों को कमजोर करता है।
एजुकेशन, रोजगार से लेकर यात्रा करने की आजादी
यूएन ने तालिबान को महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियों को तत्काल प्रभाव से खत्म करने करने को कहा है। परिषद ने तालिबान से अफगानी महिलाओं को एजुकेशन, रोजगार, यात्रा करने की आजादी और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी में पूरी तरह से छूट देने का आह्वान किया है।
'वहां महिलाओं को समाज से काट दिया गया है'
संयुक्त राष्ट्र में यूएई की राजदूत लाना नुसेबीह ने कहा कि 90 से अधिक देशों ने अफगानिस्तान में महिलाओं पर लगाई गई पाबंदी को तत्काल खत्म करने के लिए मंजूरी दी है। इन देशों के समर्थन ने हमारे मौलिक संदेश को आज और भी अहम बना दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया चुपचाप नहीं बैठेगी, क्योंकि अफगानिस्तान में महिलाओं को समाज से काट दिया गया है।
अफगानिस्तान पर दोहा में अंतरराष्ट्रीय बैठक
गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब दोहा में 1-2 मई को अफगानिस्तान पर एक नियोजित अंतरराष्ट्रीय बैठक होनी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस तालिबान से निपटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण पर काम करने के लिए विभिन्न देशों से अफगानिस्तान पर विशेष दूतों को बुलाएंगे।
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