TTP Pakistan: पाकिस्तान के लोकल तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा आतंकी संगठन है, जो पाकिस्तान सरकार के गले की फांस बना हुआ है। टीटीपी नाम के इस संगठन ने ऐलान किया है कि वह महीने भर लंबी अपनी सीजफायर को तोड़ने जा रहा है। संगठन ने पाकिस्तान सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अफगान तालिबान के साथ किए अपने समझौते का पालन नहीं कर रही है। टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खोरासानी ने रविवार को एक बयान में कहा है कि पाकिस्तान सरकार ने वार्ता को सफल बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है, ऐसे में सीजफायर को जारी रखना संभव नहीं है।
टीटीपी ने सीजफायर तोड़ने के कई कारण बताए हैं, जिसमें कैदियों को रिहा नहीं किया जाना, सैन्य ऑपरेशन जारी रखना और पाकिस्तान सरकार से संपर्क की कमी होना शामिल है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, आतंकियों ने दावा किया है कि सरकार की तरफ से कुछ कैदियों को रिहा कर दिया गया था लेकिन उन्हें दोबारा समझौते के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। सीजफायर को खत्म करते हुए टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वाली ने कहा कि उन्होंने कभी बातचीत से इनकार नहीं किया है और यह शरिया कानून का हिस्सा है। उसने कहा कि वार्ता के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई, तो ऐसे में सशस्त्र संघर्ष जारी रहेगा।
टीटीपी के लिए हथियार रखना संभव नहीं- वाली
मुफ्ती नूर वाली ने कहा कि वार्ता सफल होने पर भविष्य की कार्रवाई की घोषणा बाद में की जाएगी। पाकिस्तान और प्रतिबंधित टीटीपी के बीच बातचीत में कई गतिरोध हैं। शांति समझौते के तहत टीटीपी द्वारा हथियार डालने के मुद्दे पर भी गतिरोध बना हुआ है। अगस्त की शुरुआत में, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के आदिवासी परिषद के नेताओं के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और टीटीपी के बीच वार्ता गतिरोध में समाप्त हो गई थी। ऐसा कहा जा रहा है कि टीटीपी पाकिस्तान में हालिया आतंकवादी घटनाओं और पाकिस्तानी सेना पर हमलों के लिए जिम्मेदार है।
बातचीत में कैसे पैदा हुआ गतिरोध?
रिपोर्ट्स के अनुसार, संगठन द्वारा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ तत्कालीन संघ प्रशासित कबायली क्षेत्रों के विलय को वापस लेने की अपनी मांग को वापस लेने से इनकार करने के बाद गतिरोध पैदा हुआ। गौरतलब है कि यह वार्ता का दूसरा दौर था। पाकिस्तान सरकार और टीटीपी ने पिछले महीने लगभग दो दशकों के आतंकवाद को समाप्त करने के लिए बातचीत जारी रखते हुए सीजफायर को 'अनिश्चित काल के लिए' बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी।
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