ट्रंप ने मारा था "तीर" और IMF ने खींची "कमान", अब दिवालिया होने से नहीं बचेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो जाने से हाहाकार मचा है। कंगाल पाकिस्तान को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। आटा, दाल, चावल और रोटी के लिए भीषण जंग छिड़ी है। महंगाई की मार ने पाकिस्तान को दिवालिया बनाने के कगार पर खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान की यह हालत यूं ही नहीं हुई है।
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो जाने से हाहाकार मचा है। कंगाल पाकिस्तान को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। आटा, दाल, चावल और रोटी के लिए भीषण जंग छिड़ी है। महंगाई की मार ने पाकिस्तान को दिवालिया बनाने के कगार पर खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान की यह हालत यूं ही नहीं हुई है। दरअसल पाकिस्तान को ज्यादातर पैसा टेरर फंडिंग से आता था। मगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जुगलबंदी ने पाकिस्तान की टेरर फंडिंग पर ऐसा प्रहार किया कि उसका दंश शहबाज शरीफ आज तक झेल रहे हैं। पहले टेरर फंडिंग से ही पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था चल रही थी। मगर लगातार 4 वर्षों तक ग्रे लिस्ट में रहने के बाद पाकिस्तान टेरर फंड नहीं जुटा सका। इससे उसकी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई।
आतंकवाद के खिलाफ भारत के जबरदस्त विरोध के चलते पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने भी पाकिस्तान पर शिकंजा कस दिया था। ट्रंप ने साफ कह दिया था कि वह आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तत्कालीन आर्थिक मदद को भी रोक दिया था। इसके बाद इंटरनेशनल मॉनीटरिंग एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इससे पाकिस्तान को दुनिया के तमाम देशों से होने वाली टेरर फंडिंग पर विराम लग गया था। टेरर फंडिंग पर एफएटीएफ ने निगरानी रखना शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत विश्व बैंक और अन्य बड़ी संस्थाएं फंड व कर्ज देना बंद कर देती हैं। पाकिस्तान के साथ भी यही हुआ। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गर्त में जाती रही। ग्रे लिस्ट में करीब 4 वर्ष तक रहने के बाद अक्टूबर 2022 तक पाकिस्तान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेहरबानी से बाहर तो आ गया, लेकिन तब तक उसकी अर्थव्यवस्था दरक चुकी थी।
दिवालिया होने के कगार पर पाकिस्तान
पाकिस्तान को होने वाली टेरर फंडिंग पर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की "तीर" काफी असरदार साबित हुई है। लिहाजा पाकिस्तान अब पूरी तरह कंगाल हो चुका है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को कटोरा लेकर विभिन्न देशों से भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा है। वहां महंगाई दर 25 फीसदी तक पहुंच चुकी है। खाने-पीने की वस्तुओं के दामों में आग लगी है। इस बीच आइएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर दिया है, क्योंकि उसकी क्षमता कर्ज लौटाने की नहीं रह गई है। हालांकि पीएम शहबाज शरीफ ने आइएमएफ से काफी मिन्नतें की थी, मगर आइएमएफ ने कमान खींच लिया। इससे पाकिस्तान का बुरा हाल हो चुका है। विश्व बैंक समेत दूसरी संस्थाओं ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने से हाथ पीछे खींच लिया है। पाकिस्तान की रेटिंग बुरे दौर में है। हालत यह है कि उसका दोस्त चीन भी अब उसे फूटी कौड़ी देने को तैयार नहीं है।
विदेशी मुद्रा भंडार से ज्यादा लौटाना है 3 माह में कर्ज
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 5 अरब डॉलर रह गया है। जबकि अगले 3 माह में उसे 8.5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज भी चुकाना है। हाल में सऊदी अरब और अमेरिका ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर से अधिक की मदद दी है, लेकिन इससे भी पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा पाना संभव नहीं लग रहा है। बैंकों ने पाकिस्तानी आयातकों को क्रेडिट पत्र देने से इंकार कर दिया है। इससे आयातक खाद्य वस्तुओं के अलावा, दवाएं और अन्य कच्चा माल भी नहीं मंगवा पा रहे। कराची बंदरगाह पर क्रेडिट पत्र के इंतजार में कंटेनर रोक दिए गए हैं। इससे पाकिस्तानियों को रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुएं भी नहीं मिल पा रही हैं। लोग सड़क पर उतर कर शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।