इजराइल-हमास जंग के बीच तेल सप्लाई बाधित होने के आसार, कीमतों में लगेगी 'आग', जानिए क्या बोले एक्सपर्ट?
इजराइल और हमास में जंग के बीच तेल की कीमतों में आगामी समय बढ़ोतरी हो सकती है। तेल सप्लाई भी बाधित होने के आसार हैं। जब तेल सप्लाई बाधित होगी तो यह वैश्विक तेल बाजारों के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
Oil Price amid Israel Hamas War: इजराइल हमास में जंग के बीच पूरे मिडिल ईस्ट में मौजूदा संकटर से हाहाकार मचा हुआ है। इस कारण से आने वाले समय में तेल की कीमतों में 'आग' लग सकती है। इस कारण गैस पंप पर लंबी कतारें लगने को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। इसी बीच विशेषज्ञों ने बड़ी बात कही है। तेल आपूर्ति के बाधित होने की खबरों के बीच विशेषज्ञों ने जो बताया है, वो आश्चर्यचकित करने वाला है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1973 के अरब तेल प्रतिबंध के 50 साल बाद पश्चिम एशिया में मौजूदा संकट से वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होने और कीमतें बढ़ने की आशंका है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक मूल्य वृद्धि और गैस पंप पर लंबी कतारें लगने की आशंका नहीं है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के प्रमुख ने कहा कि सऊदी अरब और रूस से तेल उत्पादन में कटौती और चीन से मजबूत मांग के अनुमान के बाद अब इज़राइल-हमास युद्ध ‘‘श्चित रूप तेल बाजारों के लिए अच्छी खबर नहीं’ है।
बढेंगी तेल की कीमतें, क्या पड़ेगा बुरा असर?
पेरिस स्थित आईईए के कार्यकारी निदेशक फतिह बिरौल ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि बाजार अस्थिर रहेंगे और संघर्ष से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, ‘जो निश्चित रूप से मुद्रास्फीति के लिए बुरी खबर है।’ उन्होंने कहा कि तेल और अन्य ईंधन का आयात करने वाले विकासशील देश ऊंची कीमतों से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हमास के आतंकवादियों के इजराइल पर हमला करने के दिन यानी 6 अक्टूबर को वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल था, जो गुरुवार को 91 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा था। हमले के बाद से कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण तेल की कीमतें 96 डॉलर तक पहुंची हैं।
किस बात पर तय होती हैं तेल की कीमतें?
हमास के हमले में हजारों फलस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। तेल की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि इसका कितना इस्तेमाल हो रहा है और यह कितना उपलब्ध है। गाजा पट्टी प्रमुख कच्चे तेल उत्पादन वाला क्षेत्र नहीं है, फिर भी हमास-इज़राइल संघर्ष के कारण इसकी उपलब्धता को लेकर कई चिंताएं हैं। इस संघर्ष से दुनिया के कुछ सबसे बड़े तेल भंडारों वाले देश ईरान को लेकर भी चिंताएं हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इसका कच्चे तेल का उत्पादन बाधित हो गया है, लेकिन अब भी इसे चीन तथा अन्य देशों में भेजा जा रहा है।
कीमतें लगातार बढ़ीं, तो सप्लाई पर पड़ेगा असर
लिपोव ऑयल एसोसिएट्स के अध्यक्ष एंड्रयू लिपोव ने कहा कि कीमतों के निरंतर बढ़ने से वास्तव में आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होगा। इज़राइल के सैन्य हमले से ईरानी तेल बुनियादी ढांचे को कोई भी नुकसान पहुंचने पर वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल आ सकता है। ऐसा न होने पर भी ईरान के दक्षिण में स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने का भी तेल बाजार पर असर पड़ सकता है क्योंकि दुनिया की बहुत सारी आपूर्ति जलमार्ग से होती है।