Jaishankar on China: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन से रिश्तों पर खुलकर बयान दिया है। जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत और चीन की सीमा पर जैसे हालात होंगे, ये हालात ही दोनों देशों के रिश्तों की स्थिति को तय करेंगे। विदेश मंत्री जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘एलएसी‘ पर तीन साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध के बीच बुधवार को कहा कि सीमा पर स्थिति भारत और चीन के बीच संबंधों की स्थिति तय करेगी।
जयशंकर ने यहां एक परिचर्चा सत्र में कहा, ‘आज सीमा पर स्थिति अब भी असामान्य है।‘ अमेरिका के साथ संबंधों पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की हालिया यात्रा को किसी प्रधानमंत्री की ‘सबसे सार्थक‘ यात्रा बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध ‘असाधारण रूप से अच्छे‘ हो गए हैं। चीन के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सीमा के प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्था के उल्लंघन के कारण संबंध ‘मुश्किल दौर‘ से गुजर रहे हैं।
लद्दाख में बना हुआ है गतिरोध
उन्होंने कहा कि ‘भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद, टकराव वाले कई स्थानों से अपने अपने सैनिकों को पीछे हटाया है। जयशंकर ने कहा, ‘हम मानते हैं कि चीन एक पड़ोसी देश है। आज वह एक बड़ी अर्थव्यवस्था और बड़ी शक्ति बन गया है।‘ विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है और एक दूसरे के हितों का सम्मान करना होता है।
दो दशक में अमेरिका से हमारे संबंध हुए मजबूतः जयशंकर
जयशंकर ने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीमा पर स्थिति ही संबंधों की स्थिति तय करेगी और सीमा पर स्थिति आज भी असामान्य है।‘ उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में अमेरिका के साथ संबंध मजबूत हुए हैं। उन्होंने भारत के लिए वाशिंगटन के असाधारण कदमों का हवाला दिया, जिसमें परमाणु कानूनों, निर्यात नियंत्रण से छूट और अहम टेक्नोलॉजियों का हस्तांतरण शामिल है। उन्होंने कहा, ‘आप देख सकते हैं कि अमेरिका के साथ हमारे संबंध असाधारण रूप से अच्छे हो गए हैं। मुझे लगता है कि किसी प्रधानमंत्री की सबसे सार्थक यात्रा हाल में हुई है।‘
रूस के साथ हमारे रिश्ते स्थाई
रूस के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि संबंध बहुत विशिष्ट और स्थायी बने हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत पर दबाव के बावजूद नई दिल्ली ने इस रिश्ते की महत्ता पर अपना खुद का मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि कई बार रक्षा आपूर्ति पर भारत की निर्भरता जैसी चीजों के कारण यह रिश्ता बौद्धिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाता है। जयशंकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह इससे कहीं ज्यादा जटिल है। हम रूस के साथ जो भी कर रहे हैं, उसका भू.राजनीतिक महत्व है।‘
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